किसान अधिक पैदावार के लिए इस तरह करें कपास की बुआई

देश में कपास एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है। व्यावसायिक जगत में यह श्वेत स्वर्ण के नाम से जानी जाती है।

उत्तर भारत के अधिकांश क्षेत्रों में कपास की मानसून के आने पर ही बुआई की जाती है।

यदि सिंचाई की अच्छी व्यवस्था होतो मई महीने में भी इसकी बुआई की जा सकती है।

किसान इसकी बुआई के लिए सीडकमफर्टीड्रिल अथवा प्लांटर का प्रयोग कर सकते हैं।

 

कपास की बुआई

कपास की खेती रेतीली मिट्टी को छोड़कर सभी प्रकार की मृदाओं में की जा सकती है।

बुआई के लिए अमेरिकासंकर और देसी कपास का क्रमशः प्रति हेक्टेयर 15-20, 4–5 और 10–12 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है।

देसी कपास अथवा अमेरिकन कपास के लिए 60 x 30 से.मीतथा संकर किस्मों के लिए 90 x 40 से.मीपंक्ति से पंक्ति और पौधे से पौधे की दूरी रखनी चाहिए।

 

उपयुक्त किस्में कौन सी हैं?

किसानों को बुआई के लिए उनके क्षेत्र के अनुसार ही अनुशंसित क़िस्मों का उपयोग करना चाहिए।

कपास की कुछ संकर प्रजातियां जैसे – लक्ष्मीएचएस. 45, एच.एस. 6, एलएच. 144, एच.एल. 1556, एफ. 1861, एफ. 1378, एफ. 1378, एफ. 846 एवं देसी प्रजातियां जैसे – एच. 777, एच.डी. 1, एच. 974, एच.डी. 107, डी.एस. 5, एल.डी. 327 उगाई जा सकती हैं।

 

बुआई से पहले करें बीजोपचार

किसानों को बुआई से पहले बीज को प्रति किग्रा. 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम या कैप्टान दवा से उपचारित करना चाहिए।

बीजोपचार से फसल को राइजोक्टोनिया जड़ गलनफ्यूजेरियम उकठा और अन्य मृदाजनित फफूंद से होने वाली व्याधियों से बचाया जा सकता है।

कार्बेन्डाजिम अन्तप्रवाही (सिस्टमिकरसायन हैजिससे फसल को प्राथमिक अवस्था में रोगों के आक्रमण से बचाया जा सकता है।

इमिडाक्लोरोप्रिड 7.0 ग्राम अथवा कार्बेन्डाजिम 20 ग्रामकिग्राबीज उपचारित करने से 40–60 दिनों तक रस चूसक कीटों से सुरक्षा मिलती है।

दीमक से बचाव के लिए 10 मिलीक्लोरोपाइरीफास मिलाकर बीज पर छिडक दें तथा 30–40 मिनट छाया में सुखाकर बुआई कर दें।

 

कपास में बुआई के समय कितना खाद डालें?

उर्वरकों का प्रयोग मृदा परिक्षण के आधार पर किया जाना चाहिए।

कपास की अमेरिका एवं देसी किस्मों के लिए 60–80 किग्रानाइट्रोजन, 30 किग्राफास्फोरस, 20-30 किग्रापोटाश और संकर किस्मों के लिए 150–60–60 किग्रानाइट्रोजनफास्फोरस और पोटाश प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है। 

25 किग्राजिंकहेक्टेयर का प्रयोग लाभदायक है। नाइट्रोजन की पूरी मात्रा बुआई के समय डालनी चाहिए।

नाइट्रोजन की बाकी मात्रा फूल आने के समय सिंचाई के बाद देनी चाहिए।

WhatsApp Group Join Now

Leave a Comment