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खाद के भाव को लेकर किसानों को मिलेगी बड़ी राहत

खाद के भाव

 

खाद के भाव को लेकर किसानों को बड़ी राहत मिलने वाली है।

रूस से सस्ते खाद की उपलब्धता से किसानों को भारी राहत मिलेगी।

 

खाद के भाव को लेकर किसानों को बड़ी राहत मिलने वाली है।

डीएपी खाद के भाव निकट भविष्य में नहीं बढ़ेंगे, इसका कारण है कि भारत रूप से सस्ते दर पर खाद खरीद रहा है।

हालांकि भारत पर रूस से सस्ते दर पर खाद नहीं करने का दबाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाया गया था, किंतु फिर भी भारत रूस से खाद खरीदने का करार कर चुका है।

 

डीएपी खाद की कमी दूर होगी

गौरतलब है कि अमेरिका की अगुवाई में कई पश्चिमी देशों द्वारा रुस पर प्रतिबंध लगा रखा है।

जिसके बावजूद भारत का सबसे बड़ा डीएपी खाद आपूर्तिकर्ता देश रुस बन गया है।

ऐसे में भारत में रुस से सस्ते डीएपी खाद के आयात से घरेलू बाजार में उपलब्धता सुधरेगी।

जिससे खाद की बढ़ती कीमतें थमेंगी और किसानों को उचित मूल्य पर खाद की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।

 

भारत को सस्ते रेट पर मिला डीएपी खाद

दरअसल भारत ने रुस से अप्रैल-जुलाई के बीच 3.5 लाख टन डाय-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) खाद आयात खरीदार का करार किया है।

यह आयात ऑर्डर इंडियन पोटाश लिमिटेड, राष्ट्रीय कैमिकल फर्टिलाइजर्स, चंबल फटिलाइजर्स और कृषक भारती को-ऑपरेटिव को मिला है।

इन कंपिनियों को यह ऑर्डर 920-925 डॉलर प्रति टन की कीमत पर मिला है। इसमें माल पहुंचाने का भाड़ा भी शामिल है।

 

जबकि किसी अन्य देश को इतनी कम कीमत पर डीएपी खाद रूस से नहीं मिला है।

वहीं बंगलादेश ने लगभग 8 लाख टन खाद के लिए 1,020-1,030 रुपए प्रति टन पर करार किया है।

वहीं पाकिस्तान 1,030 डॉलर प्रति टन पर अब तक डील फाइनल नहीं कर पाया है।

जिसका एक बड़ा कारण पाकिस्तान रुपए के मूल्य में डॉलर की तुलना में बहुत अधिक गिरावट होना है।

 

अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसका असर पड़ेगा

रुस द्वारा रियायत दर पर डीएपी खाद की सप्लाई किए जाने से इसके अन्य सप्लायर देशों पर दबाव बनेगा।

इसमें मोरक्कों का ओसीपी ग्रुप, चीन का वाईयूसी, सऊदी अरब का माडेन और साबिक शामिल है।

ऐसे में संभव है कि बाजार आधिपत्य बनाए रखने के लिए इन्हें भी डीएपी खाद के दाम में कटौती करनी पड़े।

वहीं देश में अप्रैल से जुलाई के बीच कुल 9.5-9.6 लाख टन डीएपी खाद का आयात होने का अनुमान है।

 

इसमें से सर्वाधिक खाद रूस से आयात हो रहा है।

वहीं सऊदी अरब से 2.8 लाख टन, चीन से 1.27 लाख टन और मोरक्को से 1.03 लाख टन खाद आयात होगा।

वहीं भारत ने पिछले वित्त वर्ष में कुल 58.60 लाख टन डीएपी खाद का आयात किया था।

इसमें से सर्वाधिक खाद का आयात 20.43 लाख टन चीन से हुआ था।

जिसके बाद सऊदी अरब से खाद का आयात 19.33 लाख टन और मोरक्को से खाद का आयात 12.12 लाख टन हुआ था।

 

किसानों को यह फायदा होगा

भारत द्वारा आपूर्ति स्त्रोतों का विस्तार देना एक समझदारी वाला कदम है।

देश ने पहले यूरिया के मामले में ऐसा किया, और पहली बार अमेरिका से 47,000 टन यूरिया मंगवाया।

ऐसे में यही डीएपी के साथ किया जा रहा है।

वहीं रियायत दर वाला खाद का आयात बिल्कुल सही समय पर आ गया है क्योंकि खरीफ सीजन के लिए बोआई हो चुकी है और अब सस्ते दर पर खाद के मिलने से इसका भंडारण बढ़ जाएगा।

इससे खाद की कमी की समस्या दूर होगी और किसानों को सस्ते दाम पर खाद मिल पाएगी जिससे किसानों को खाद के मद में खर्च में कमी आ सकती है।

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