65 प्रतिशत तक ऋण दिलाएगी सरकार
खेती की लागत घटाने के लक्ष्य के तहत किसानों को सौर ऊर्जा का अधिक से अधिक उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके लिए प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना लागू की गई है।
प्रदेश में जिन किसानों के पास स्थायी विद्युत कनेक्शन नहीं है वे सभी इसके पात्र होंगे। सोलर पंप परियोजना लागत का पांच से 10 प्रतिशत हिस्सा किसान को अंशदान के रूप में लगाना होगा।
65 प्रतिशत तक ऋण सरकार अपनी गारंटी पर दिलवाएगी और 30 प्रतिशत अनुदान भारत सरकार द्वारा दिया जाएगा।
साथ ही ऊर्जा विकास निगम द्वारा लिया जाने वाला सर्विस चार्ज भी किसान से नहीं लिया जाएगा। सोलर पंप की दर का निर्धारण निविदा के माध्यम से होगा।
सिंचाई के उपयोग में आने वाली बिजली के अतिरिक्त उत्पादन होने पर उसका उपयोग आटा चक्की, कोल्ड स्टोरेज, ड्रायर, बैटरी चार्जर आदि में किया जा सकेगा।
दरअसल, खेती में लागत का बड़ा हिस्सा बिजली पर होने वाला व्यय है। इसे कम करने के लिए सोलर पंप के उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
भारत सरकार की कुसुम योजना के अंतर्गत अब प्रदेश सरकार ने तय किया है कि प्राथमिकता के आधार पर उन किसानों को सोलर पंप दिए जाएंगे जो हर सीजन में अस्थायी कनेक्शन लेते हैं। इसमें राशि भी अधिक लगती है।
नई व्यवस्था में इन किसानों का पंजीयन करके सोलर पंप लगवाए जाएंगे। इसमें जो लागत आएगी उसका अधिकतम 10 प्रतिशत किसान को अपने अंश के तौर पर देना होगा।
तीन हार्स पावर से कम के पंप के लिए यह अंशदान पांच प्रतिशत और उससे अधिक के पंप के लिए 10 प्रतिशत होगा।
30 प्रतिशत अनुदान भारत सरकार देगी और शेष राशि (60 से 65 प्रतिशत) की व्यवस्था बैंक ऋण से करवाई जाएगी।
- ऋण का भुगतान भी सरकार करेगी, अन्य योजनाओं का भी दिलाया जाएगा लाभ
- पहले चरण में डेढ़ लाख अस्थायी कृषि पंप कनेक्शन लेने वालों को किया जाएगा शामिल
अन्य योजनाओं का भी मिलेगा अनुदान
सोलर पंप योजना को ड्रिप या स्प्रिंकलर सिस्टम की स्थापना से भी जोड़ा जाएगा। इससे किसान को उद्यानिकी विभाग सहित अन्य योजनाओं का लाभ भी मिल सकेगा।
पंप पर क्यूआर कोड भी होगा, ताकि पूरी जानकारी स्कैन करने पर पता चल जाए। यह योजना मार्च, 2028 तक लागू रहेगी।