बदला खेती का तरीका : सब्सिडी ने दिलाई मशीनों तक आसान पहुंच

सुपर सीडर और पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन से कमाल

तकनीक से लागत-मेहनत कम, उत्पादन ज्यादा

बालाघाट. जिले के धान उत्पादक किसानों के लिए खेती में तकनीकी बदलाव की बयार चल रही है। पारंपरिक तरीकों की जगह किसान आधुनिक मशीनों की मदद से धान की बोवनी और रोपाई कर रहे हैं।

सुपर सीडर और पैडी ट्रांसप्लांटर मशीनें खेती को आसान, सस्ती और कम समय में ज्यादा उत्पादन वाली बना रही हैं।

मशीनों के उपयोग से किसानों का न केवल श्रम घटा है, बल्कि जल, समय और लागत की भी बचत हो रही है।

सुपर सीडर सूखे खेतों में सीधे बुआई की सुविधा देती है तो पैडी ट्रांसप्लांटर गीले खेतों में रोपाई को आसान बनाती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इन मशीनों के प्रयोग से जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है।

सब्सिडी योजना के चलते अब छोटे और मध्यम किसान भी तकनीकी यंत्रों. को अपना पा रहे हैं।

 

सुपर सीडर : सूखे खेत में सीधी बुवाई

सुपर सीडर मशीन को चलाने के लिए खेत में न सिंचाई की जरूरत होती है और न रोपा लगाने की। मशीन ट्रैक्टर से जुड़ती है और बीज बोने के साथ-साथ मिट्टी में हल्की जुताई भी करती है।

इस वर्ष करीब 200 किसानों ने 500 एकड़ में सुपर सीडर से बुआई की। मशीन की बाजार कीमत 25 लाख से 3 लाख के बीच है। कृषि विभाग द्वारा 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है।

फायदे

  • समय और श्रम की बचत।
  • बुवाई भी हो जाती है।
  • कम, सिंचाई की जरूरत।
  • पराली प्रबंधन में सहायक।

 

पैडी ट्रांसप्लांटर: गीले खेत में रोपा लगा सकते हैं

यह मशीन गीले खेत में धान के पौधों की रोपाई करती है। जिले में नौ वर्ष से यह तकनीक अपनाई जा रही है। इस वर्ष 20-25 हजार किसानों ने 50 हजार हेक्टेयर में मशीन से रोपा लगाया।

1500 से अधिक किसानों के पास पैडी ट्रांसप्लांटर है। पैदल चलाने वाली मशीन 1.5 लाख से 2 लाख में, बैठकर चलाने वाली मशीन 7.5 लाख से 8 लाख में मिल जाती है।

फायदे

  • रोपा लगाने में मेहनत की बचत।
  • जल संरक्षण होता है।
  • एकरूपता, गहराई बनी रहती है।
  • प्रति एकड़ समय और लागत कम।

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