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इन तीन पेड़ों की खेती से हो जाएंगे मालामाल

कमा सकते हैं करोड़ों रुपये

 

कृषि एक रिस्की क्षेत्र है. जिसमें मुनाफा फसलों की खेती, मौसम और उनकी बिक्री पर निर्भर करता है.

घटते मुनाफे को देखते हुए किसान कोई दूसरा विकल्प खोजने लगते हैं.

ऐसे में आप अगर कुछ पेड़ों की खेती कर लें, तो आपका नुकसान भी पूरा हो जाएगा और मुनाफा भी काफी होगा.

आइए जानते हैं इन पेड़ों के बारे में.

 

सफेदा के पेड़

अगर आप सफेदा के पेड़ की खेती करते हैं तो आपको भारी मुनाफा हो सकता है. इसकी खेती करने में कोई झंझट नहीं है.

न ही इसमें ज्यादा पानी की जरूरत होती है और ना ही मौसम के बदलते मिजाज का भी ज्यादा असर पड़ता है.

इसकी खेती में लागत बहुत कम लगती है. यानी कि आप कम खर्च में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.

 

सफेदा की लकड़ियों का इस्तेमाल हार्ड बोर्ड, फर्नीचर और पार्टिकल बोर्ड, पेटियां, ईंधन, इत्यादि बनाने के लिए किया जाता है.

सिर्फ 21 से 30 हजार तक के खर्चे में आप इसकी खेती कर सकते हैं. इसके एक पेड़ से लगभग 400 किलो लकड़ी प्राप्त होती है.

बाज़ार में इसकी लकड़ी 6-7 रुपये प्रति एक किलो के भाव से बिकती है.

इसे करीबन 3 हजार पेड़ ही आपको 72 लाख तक का मुनाफा दे सकते हैं.

 

गम्हार के पेड़

गम्हार के पेड़ काफी तेजी से बढ़ते हैं. इसके पत्ते दवाइयां बनाने में काम आते हैं.

अलसर जैसी बीमारियों से राहत पाने के लिए इस पेड़ की लकड़ियां काफी मददगार हैं.

करीबन 1 एकड़ में आप इसके 500 पौधे लगा सकते हैं.

इसको लगाने में 40 से 50 हजार रुपये की लागत लगती है, लेकिन कमाई भी दोगुनी होती है.

हालांकि, इसकी कमाई पड़ों की लकड़ी की क्वालिटी पर निर्भर करती है.

अगर आप 1 एकड़ में पेड़ लगाएंगे तो आपकी करीबन एक करोड़ की कमाई होगी.

ये एक लॉन्ग टर्म निवेश है. करीबन 10-12 साल में यह पेड़ तैयार हो जाता है.

 

सागवान के पेड़

सागवान की लकड़ी बाजार में सबसे महंगी बिकती हैं. यह अपनी ठोस मजबूत लकड़ियों के लिए काफी लोकप्रिय है.

एक एकड़ खेत में आप करीबन 500 सागवान के पेड़ लगा सकते हैं, लेकिन वहां तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से लेकर 40 डिग्री सेल्सियस का तापमान होना चाहिए.

ज्यादातर सागवान की खेती बर्फीले इलाकों या रेगिस्तानी इलाकों में नहीं होती. इसके लिए जलोढ़ मिट्टी को बेहतर माना जाता है.

इसके पत्ते स्वाद में काफी कड़वे होते हैं, इसीलिए जानवर इसे खाना पसंद नहीं करते. इसकी खेती में मुनाफा बहुत ज्यादा है.

फिर भी कमाल की बात ये है कि सिर्फ 5 प्रतिशत ही पूर्ति हो पा रही है.

लॉन्ग लाइफ के चलते इसकी मांग हमेशा बाजार में बनी रहती है.

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