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गर्मी के मौसम में पशुओं को खिलाएं ये घास, बढ़ जाएगा दूध का उत्पादन

नेपियर घास मुख्य रूप से थाईलैंड की घास है, लेकिन अब भारत में भी किसान इसे उगा रहे हैं.

यह घास देखने में बिल्कुल गन्ने की तरह लगती है.

हिट वेव ने अपना प्रचंड रूप दिखाना शुरू कर दिया है. सुबह के 10 बजते ही तेज धूप के साथ शरीर को झुलसा देने वाली लू बहने लगती है.

इससे इंसान के साथ- साथ मवेशी भी परेशान हो जाते हैं. अधिक गर्मी पड़ने पर कई मवेशी दूध देना कम कर देती हैं.

इससे दूध का उत्पादन प्रभावित हो जाता है. लेकिन अब किसानों को टेंशन लेने की जरूरत नहीं है.

किसान भाई गर्मी के मौसम में भी पहले की तरह मवेशियों से दूध निकाल सकते हैं.

बस इसके लिए उन्हें अपने पशुओं को कुछ खास किस्म की घास को चारे में मिलाकर खिलाना होगा.

 

दूध देने की क्षमता बढ़ेगी

पशु चिकित्सकों की माने तो गर्मी के मौसम में पशु सुस्त हो जाते हैं.

ऐसे में वे चारा खाना कम कर देते हैं, जिससे दूध देने की उनकी क्षमता कम हो जाती है.

ऐसे में किसान भाई अगर मवेशियों को खास किस्म की हरी- हरी घास खिलाते हैं, तो पशु पहले की तरह ही दूध देती रहेंगी.

साथ ही लू और अधिक गर्मी पड़ने पर गाय और भैंस को हमेशा छाया में ही बांधे और उसे सुबह- शाम पानी से नहलाएं. इससे मवेशी गर्मी के मौसम में स्वस्थ रहते हैं.

तो आइए आज जानते हैं, गर्मी के मौसम में मवेशियों के खिलाए जाने वाली मुख्य तीन घासों के बारे में.

 

नेपियर घास

नेपियर घास मुख्य रूप से थाईलैंड की घास है, लेकिन भारत में किसान अब इसे उगा रहे हैं.

यह घास देखने में बिल्कुल गन्ने की तरह लगती है. भारत में लोग इस हाथी घास के नाम से जानते हैं.

इस घास को बंजर जमीन पर भी उगाया जा सकता है. ऐसे में इसकी खेती में बहुत ही कम खर्च करने होंगे.

सामान्य हरी घास के मुकाबले नेपियर में 20% अधिक प्रोटीन पाया जाता है. साथ ही इसमें 40 फीसदी क्रूड फाइबर पाए जाते हैं.

नेपियर घास की बुवाई करने के बाद यह 45 दिन में पूरी तरह से तैयार हो जाती है.

अगर किसान भाई गर्मी के मौसम में पशु को नेपियर घास खिलाते हैं, तो मवेशी पहले की तरह ही दूध देती रहेंगी.

 

कंबाला चारा

जिन किसानों के पास खेती करने के लिए जमीन नहीं है, वैसे किसान कंबाला चारे को घर के अंदर ही उगा सकते हैं.

कंबाला चारे की खेती के लिए एक अलमारीनुमान संरचना तैयार की गई है, जो देखने में बिल्कुल फ्रिज की तरह लगती है.

इस संरचना को हाइड्रोपॉनिक्स कंबाला मशीन के नाम से भी जाना जाता है.

इस मशीन में घास उगाने के लिए अलग- अलग सांचे बने हुए हैं, जिसमें बीज डालकर आप सालों हरी- हरी घास उगा सकते हैं और मवेशियों को खिला सकते हैं.

 

अजोला पशु चारा

अजोला पशु चारा पानी पर उगाई जाने वाली एक तरह की घास है. इसे पशुओं के प्रोटीन सप्लीमेंट के रूप में जाता जाता है.

अजोला पशु चारे में मैग्नीशियम, तांबा, मैंगनीज, फास्फोरस, लोहा और कैल्शियम सहित कई तरह को पोषक तत्व पाए जाते हैं.

साथ ही इसमें दूध का प्रोडक्शन बढ़ाने वाले अमीनो एसिड, प्रोबायोटिक्स और बायो-पॉलिमर सहित कई तरह के विटामिन्स भी पाए जाते हैं.

कहा जाता है कि इस खिलाने से मवेशी अधिक दूध देना शुरू कर देती हैं.

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