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पहली बार ऐसा प्रकोप… 3 से 10 मिमी लंबी इल्लियां चट कर रही गेहूं फसल की पत्तियां

अभी तक सोयाबीन, मटर, चने व अन्य फसलों में इल्ली का प्रकोप देखा जाता था।

लेकिन इस बार इल्ली का प्रकोप गेहूं की फसल पर देखा जा रहा है। जो धीरे-धीरे फसल को नुकसान पहुंचा रही है।

जिसके कारण किसान चिंतित हैं। जिन किसानों ने खेत में इल्लियों को देख रोकथाम के लिए कीटनाशक दवाई का छिड़काव कर दिया तब तो ठीक है।

जो किसान लेट हो गए, इल्ली ने गेहूं की बालियों को चटकर किसानों को नुकसान पहुंचा दिया है।

कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि पहले किसान अपने खेत में अधिकतम चना, मटर बोवनी करते थे। खेत के आसपास में बड़ी मात्रा में घास होती थी।

वहीं मेड़ पर भी पेड़ पौधे लगाते थे। लेकिन अब दवाइयों के छिड़काव से मेड़ पर घास एवं अन्य पेड़ पौधे खत्म हो गए।

ऐसी स्थिति में इल्लियां अपनी भूख मिटाने के लिए गेहूं को चटकर रही हैं। साथ ही किसानों द्वारा यूरिया खाद का उपयोग जरूरत से ज्यादा किया जा रहा है।

जिसके कारण पौधा बहुत ही अधिक सॉफ्ट एवं मीठा होने के कारण भी इल्ली गेहूं में आ रही है एवं पौधे को खा रही हैं।

दवाओं का छिड़काव करें किसान

इस बारे में कृषि वैज्ञानिक डॉ. जेएस गठिया ने बताया कि गेहूं में भूरे व काली, हरे रंग की इल्ली का प्रकोप देखा जा रहा है।

जो 3 से 10 मिमी लंबी इल्ली है। 7-7 दिन के हिसाब से इल्लियों की चार अवस्था होती है।

21 दिन बाद शुरू होने वाले चौथे स्टार में इल्ली कम नुकसान करती है। जिन किसानों ने एक बार गेहूं में जो दवाई का छिड़काव कर दिया है।

दोबारा उसी दवाई का छिड़काव नहीं करना चाहिए। इससे इल्ली पर दवाई का प्रभाव कम हो जाता है।

 

कीटनाशक दवाई का छिड़काव किया है

गांव बुकड़ावदा खेड़ी के किसान दलपत सिंह पिता भगत सिंह ने बताया कि पहली बार गेहूं में इतनी बड़ी मात्रा में इल्ली का प्रकोप देखा है।

45 बीघा में गेहूं बोए हैं। 10 हजार से अधिक की दवाई लेकर शनिवार को छिड़काव किया है।

देखना है छिड़काव के बाद इल्ली खत्म होती है या नहीं। इसी तरह गांव बोराली के किसान ऋषभ पिता गोपाल जाट ने बताया की 16 बीघा के गेहूं लगाए हैं।

आज से 15 दिन पहले दवाई का छिड़काव करवाया था। शनिवार को खेत पर जाकर देखा तो फिर से बड़ी-बड़ी इल्ली गेहूं में लग गई है।

आज फिर दवाई का छिड़काव करवाया है। पहले तो केवल सोयाबीन चने एवं मटर में ही कीटनाशक दवाई का छिड़काव करना पड़ता था,

लेकिन अब तो गेहूं में भी दो बार करना पड़ रहा है। जिससे किसानों के ऊपर आर्थिक मार पड़ेगी।

Source:-dainikbhaskar

 

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