1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट में कई अहम घोषणा की। इसमें भी एक बड़ा ऐलान 1 करोड़ घरों की छत पर सोलर पैनल लगाने का था। इस विशेष सौर कार्यक्रम से ग्रामीण महिलाओं के लिए बहुत लाभ मिल सकता है।
श्री जयंत सिन्हा ,सांसद एवं लोकसभा की वित्त सम्बन्धी स्थायी समिति के अध्यक्ष के अनुसार इस कार्यक्रम के तहत दो से तीन करोड़ महिलाओं को बिजली ग्रिड से जुड़ने वाले 10 किलोवॉट सौर पैनल खरीदने के लिए ब्याज मुक्त ऋण दिया जा सकेगा।
राज्य वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) सौर ऊर्जा के माध्यम से उत्पादित होने वाली बिजली के लिए निर्धारित शुल्क का भुगतान करेगी जो बाजार मूल्य से अधिक होता है।
सोलर दीदी की होगी 2 हजार से अधिक की मासिक आमदनी
सौर पैनल से प्रत्येक सोलर दीदी को 2,000 रुपये से अधिक की मासिक आमदनी होगी और इसके साथ-साथ उन्हें 100 यूनिट मुफ्त बिजली भी मिलेगी।
ग्रामीण क्षेत्रों में लगाए जाने वाले सौर पैनलों के निर्माण, उसे लगाने और उससे जुड़ी सेवाएं देने वाली कंपनियों के साथ-साथ लाखों लोगों को रोजगार देने वाला एक संपूर्ण तंत्र तैयार किया जाएगा।
भारत में कई ऐसे राज्य हैं जो कोयले की अर्थव्यवस्था पर निर्भर हैं।
ऐसे में अगर हम शून्य कार्बन उत्सर्जन की व्यवस्था को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ते हैं तब इन राज्यों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
इन राज्यों के ग्रामीण परिवार मुश्किल से अपना जीवन-यापन कर पाते हैं और वे सीधे या परोक्ष रूप से कोयला खनन से मिलने वाली आय पर निर्भर हैं।
कई किसानों के पास सिंचाई की सुविधा वाले खेत भी नहीं होते हैं और ऐसे में उन्हें अपनी आजीविका के लिए गैर-कृषि आमदनी पर निर्भर होना पड़ता है।
ये लोग होंगे योजना के पात्र?
राशन कार्ड रखने वाला प्रत्येक ग्रामीण परिवार इस योजना का लाभ पाने का पात्र होगा। सौर पैनल का स्वामित्व महिलाओं के पास होगा और इससे होने वाली कुल आमदनी सीधे उनके बैंक खातों में जमा की जाएगी।
लगभग 5 लाख रुपये की लागत वाले एक 10 किलोवॉट का सोलर पैनल लगाने पर प्रति वर्ष लगभग 12,000 किलोवॉट-घंटे (यूनिट) बिजली पैदा होती है।
पूरे भारत में, बिजली वितरण कंपनियां आमतौर पर 4 रुपये प्रति यूनिट ( इसमें कोई पूंजीगत सब्सिडी नहीं है) की दर पर दीर्घकालिक सौर बिजली की खरीद करने के लिए तैयार हैं।
प्रति माह खुद इस्तेमाल की जाने वाली 100 यूनिट बिजली घटाने के बाद, सौर पैनलों से होने वाली वार्षिक आमदनी का आंकड़ा लगभग 43,000 रुपये है।
कार्बन क्रेडिट के माध्यम से प्रति वर्ष 5,000 रुपये और मिल सकते हैं जिससे कुल वार्षिक राजस्व लगभग 48,000 रुपये हो जाता है। सौर पैनल की किस्त (25 साल के लिए और शून्य ब्याज दर के लिहाज से) 20,000 रुपये प्रति वर्ष है।
इसके अलावा इसके रखरखाव का खर्च 2,000 रुपये प्रति वर्ष के दायरे में है।
बाकी 26,000 रुपये का भुगतान ग्रामीण परिवारों को मासिक आधार पर किया जा सकता है,
जिसके परिणामस्वरूप इन परिवारों को 2,000 रुपये से अधिक की मासिक घरेलू आमदनी होती है।
यदि इस कार्यक्रम से 2 करोड़ परिवार जुड़ते हैं तब यह भारत की बिजली जरूरतों के लगभग 10 प्रतिशत की आपूर्ति करेगा।
सौलर पैनल से क्या होगा लाभ
निःशुल्क बिजली कई सकारात्मक प्रभाव ला सकती है। सबसे पहले, घर में बिजली की व्यवस्था होगी।
दूसरा, खाना पकाने के लिए इंडक्शन स्टोव का इस्तेमाल किया जा सकता है , गैस सिलिंडर की आवश्यकता खत्म हो सकती है।
ऐसे में हर घर प्रति माह 500 रुपये से अधिक की बचत कर सकते हैं। साथ ही ग्रामीण परिवार, इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों को अपना सकते हैं,
जिससे उनकी पेट्रोल खपत कम हो जाएगी। इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन, घरों के लिए बैटरी बैकअप की सुविधा दे सकते हैं जिससे 24 घंटे बिजली आपूर्ति संभव होगी।
ब्याज मुक्त ऋण के माध्यम से सोलर दीदी जैसे कार्यक्रमों को प्रोत्साहन मिलेगा।
सौर पैनलों के लिए सब्सिडी की तुलना में ये ऋण, कुशल नीतिगत हस्तक्षेप साबित होंगे
क्योंकि यह इसकी एक इकाई के लाभ-लागत का बेहतर आकलन होगा।
जैसे-जैसे सौर पैनल के मूलधन का भुगतान किया जाता है, ब्याज भुगतान सब्सिडी कम हो जाती है।
यह सब्सिडी विकास वित्तीय संस्थानों, केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की तरफ से मिले-जुले रूप में दी जा सकती है।
निःशुल्क ब्याज वाले ऋण, केंद्र और राज्य की नवीकरणीय विकास एजेंसियों के माध्यम से उपलब्ध कराए जा सकते हैं।
बिजली वितरण कंपनियों को पहले से ही वितरित सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए बाजार आधारित शुल्क देने और स्मार्ट मीटर देने का आदेश दिया गया है।
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