मध्यप्रदेश में जैवि‍क खेती का दायरा बढ़ाएगी सरकार

मध्‍य प्रदेश में जैव‍िक खेती को बढ़ावा देने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है.

अभी यहां 17 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र में जैविक खेती की जा रही है, जिसका रकबा बढ़ाकर 20 लाख हेक्‍टेयर करने की तैयारी है.

सरकार इसके लिए किसानों को तीन साल तक 5-5 हजार रुपये की सहायता देगी.

 

किसानों को मिलेंगे 5-5 हजार रुपये

जब भारत समेत पूरी दुन‍िया में खाद्य संकट था तो खेती में अध‍िक उत्‍पादन के लिए रासायनिक खादों और कीटनाशकों के इस्‍तेमाल को बढ़ावा दिया गया.

लेकिन, रासायनिक खादों के अति उपयोग से अब मिट्टी की सेहत खराब हो रही है.

यही वजह है कि देश-दुनिया में प्राकृतिक खेती (नेचुरल फार्मिंग) और जैव‍िक खेती (ऑर्गेनिक फार्मिंग) को बढ़ावा दिया जा रहा है.

वर्तमान में भारत में 65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती की जा रही है. इसी क्रम में मध्‍य प्रदेश अब जैव‍िक खेती के मामले में नया कीर्त‍ि‍मान रचने जा रहा है. 

जैव‍िक खेती पद्धति अपनाने वाले किसानों को सरकार प्रति हेक्‍टेयर पांच-पांच हजार रुपये देगी.

 

3 लाख हेक्‍टेयर रकबा बढ़ाने की तैयारी

‘नई दुनिया’ की रिपोर्ट के मुता‍बिक, प्रदेश में जैवि‍क खेती का रकबा बढ़ाकर 20 लाख हेक्‍टेयर करने की तैयारी चल रही है.

अभी प्रदेश में 17 लाख हेक्‍टेयर में जैवि‍क खेती होती है, जिससे देश के कुल जैव‍िक उत्‍पादों का 40 प्रतिशत हि‍स्‍सा आता है.

रसायन मुक्‍त खाद्य उत्‍पादों को बढ़ावा देने के इस मिशन में केंद्र सरकार भी मदद करेगी. इसके साथ ही सरकार ने जैविक उत्पादों की बिक्री को लेकर भी प्‍लान बनाया है.

इसके तहत इन उत्‍पादों को बाजारों में स्टॉल लगाकर बेचने और खुदरा व्यापारियों से जोड़ने की तैयारी है.

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तीन साल तक 5-5 हजार की मदद

जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार किसानों को तीन साल तक प्रति हेक्टेयर पांच-पांच हजार रुपये देगी और इन किसानों को कहीं से भी सामग्री लेने की छूट दी जाएगी.

प्‍लान के तहत सरकार तीन साल तक इन किसानों द्वारा की जा रही खेती की मॉनिटिरिंग कर रिकॉर्ड रखेगी.

इसके अलावा सरकार जैविक उत्पाद का प्रमाणीकरण भी करवाएगी, जिससे किसानों को उपज की अच्छी कीमत मिले. 

मध्य प्रदेश में एक लाख से ज्‍यादा किसान जैव‍िक खेती अपना चुके है. मंडला, डिंडौरी, शहडोल, सिंगरौली, अनूपपुर सहित अन्य कई जिलों में परंपरागत तरीके से जैविक खेती की जा रही है. 

जैविक खेती मिट्टी और इंसानों की सेहत के साथ किसानों के लिए आर्थिक तौर पर फायदेमंद है, क्‍योंकि रासायनिक खेती के उत्‍पादों के मुकाबले जैव‍िक उत्‍पाद बाजार में महंगे दाम पर बिकते है.

 

जैविक खाद के लिए सहकारी समित‍ि

प्‍लान के तहत जैविक खाद की जरूरत पूरी करने के लिए सहकारी स्तर पर समिति बनाई जाएंगी.

इसके अलावा किसानों की इनकम को बढ़ाने के लिए उन्‍हें गोपालन से जोड़ने की भी प्‍लानिंग है.

सरकार की ओर से प्राकृतिक खेती करने के साथ देसी गाय पालन वाले किसानों को हर महीने 900 रुपये दिए जाएंगे. 

राज्‍य में जैव‍िक खेती को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2011 में पॉलिसी बनाई गई थी. इसमें जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण समेत तमामा व्यवस्थाएं बनाई गईं थी.

अब सरकार ने जैव‍िक खेती को प्राकृतिक खेती से जोड़ते हुए और आगे ले जाने की प्‍लानिंग की है.

कृषि विभाग के अफसरों का कहना है कि राज्‍य में अभी जैविक खेती के लिए तीन हजार से ज्‍यादा क्लस्टर बने हैं.

अब इनका विस्तार किया जाएगा. प्रदेश में उगाई जाने वाले प्रमुख फसलें- सोयाबीन, गेहूं, अरहर, उड़द, धान, चना, मसूर, बाजरा, रामतिल, मूंग, कोदो-कुटकी, कपास.

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