कस्टम हायरिंग योजना किसानों को आधुनिक कृषि यंत्र किराए पर उपलब्ध कराकर खेती को आसान बना रही है.
इस योजना से छोटे किसानों की आय में वृद्धि, रोजगार के अवसर और खेती का मशीनीकरण संभव हुआ है. सब्सिडी और प्रशिक्षण से गांवों में आत्मनिर्भरता को बल मिल रहा है.
कस्टम हायरिंग योजना
केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई कस्टम हायरिंग योजना ग्रामीण भारत में खेती की दिशा और दशा दोनों बदल रही है.
सब-मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मेकेनाइजेशन (SMAM) के तहत चलाई जा रही इस योजना का मुख्य उद्देश्य छोटे किसानों को आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध कराना, आय में वृद्धि करना और गांवों में रोजगार के नए अवसर पैदा करना है.
सरकार की इस योजना के तहत किसानों को ट्रैक्टर, कल्टीवेटर, रोटावेटर, थ्रेशर सहित कई आधुनिक यंत्रों की खरीद पर 40% तक सब्सिडी और 3% ब्याज में छूट दी जा रही है.
योजना के तहत मिल रहे ये लाभ
- 18 से 40 वर्ष तक के 12वीं पास बेरोजगार किसान योजना के लिए कर सकते हैं आवेदन
- आवेदन कृषि संचालनालय की वेबसाइट के माध्यम से किया जाता है
- लॉटरी के जरिए चयन, फिर सरकारी बैंक से प्रोजेक्ट फाइनेंस
- भोपाल या बुदनी में 5 दिवसीय प्रशिक्षण
- ट्रैक्टर, कल्टीवेटर, रोटावेटर, थ्रेशर सहित कई आधुनिक यंत्रों की खरीद
- 40% तक सब्सिडी और 3% ब्याज में छूट
- यंत्रों को किराए पर देने से किसानों को आय का नया स्रोत
52 कस्टम हायरिंग सेंटर
जी बिजनेस हिंदी के अनुसार, शहडोल जिले के सहायक कृषि यंत्री आर.के. पयासी ने बताया कि जिले में अब तक 52 कस्टम हायरिंग केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं.
योजना का उद्देश्य है कि हर गांव तक कृषि यंत्रीकरण पहुंचे और किसानों को खेती के लिए आवश्यक संसाधन समय पर मिलें.
गांव-गांव में पहुंच रहा है फायदा
हर वर्ष उन गांवों से आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं, जहां अभी तक कस्टम हायरिंग सेंटर नहीं बने हैं.
सरकार का उद्देश्य है कि यंत्रों की मदद से सभी किसानों को फायदा मिले और खेती का खर्च घटे, मुनाफा बढ़े.
इस योजना से न सिर्फ किसानों की खेती आसान हुई है, बल्कि उन्हें स्वरोजगार भी मिला है.
यह प्रधानमंत्री मोदी सरकार की एक सफल पहल है, जो गांवों में सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की नींव रख रही है.