सरसों की सबसे ज्यादा उत्पादन देने वाली उनत किस्में

चालू रबी सीजन में देश के 18 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुवाई की जा चुकी है.

हालांकि इस वर्ष रहे असामान्य मौसम के कारण खरीफ की कटाई में देरी से कई राज्य सरसों की बुवाई में पीछे रह गए हैं.

 

मिलेगी अच्छी उपज

सरसों देश की एक प्रमुख तिलहनी फसल है. रबी की फसलों में ये प्रमुख स्थान रखती है.

राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में सरसों की खेती प्रमुखता से की जाती है.

सरसों के बीज में तेल की मात्रा 30-45 प्रतिशत पाई जाती है.

अपशिष्ट, खर का प्रयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है.

लोग सरसों की हरी पत्तियों का साग भी बड़े चाब से खाना पसंद करते हैं.

 

खेत की तैयारी

सरसों शरद ऋतु की फसल है. फसल से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए 15-25 डिग्री सेल्सियस के तापमान की आवश्यकता होती है.

लाहा की खेती क्षारीय को छोड़कर किसी भी मिट्टी में की जा सकती है.

किसान खरीफ फसलों की कटाई के बाद खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से जोताई करें.

इसके बाद खेत में कल्टीवेटर से 2-3 बार क्रॉस जोताई करें. 1-2 दिन के गैप के बाद खेत पर पाटा लगा दें.

 

खाद-उर्वरक प्रबंधन

सिंचित फसल के लिए 50 क्विंटल सड़ी गोबर खाद बीज बुवाई से पहले खेत में डाल दें.

सिंचित क्षेत्र में 120 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलो फास्फोरस और 60 किलो पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई से पहले प्रति हेक्टेयर में प्रयोग करते हैं.

नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई से पहले खेत में मिला देनी चाहिए.

नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के 25-30 दिन बाद टोपडेसिंग रूप में प्रयोग करना चाहिए.

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बीज की दर और बीज उपचार

सरसों की बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 5-6 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है.

बुवाई से पहले बीज को रोगों से सुरक्षा के लिए 2-5 ग्राम थीरम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करके बोना चाहिए.

 

बुवाई का सही तरीका

तैयार खेत में बीज कतारों में बोएं.

पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए कतार से कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर और बोए गए बीज से बीज की दूरी सेंटीमीटर रखें.

बीज बुवाई के लिए सीडड्रिल मशीन का प्रयोग करें.

सिंचित क्षेत्र में बीज की गहराई 5 सेंटीमीटर रखें.

 

रोग और कीट नियंत्रण

सरसों की फसल को आल्टरनेरिया, झुलसा रोग, तुलासिता रोक से खतरा रहता है.

इससे बचाव के लिए किसान मेन्कोजेब 75 प्रतिशत नामक रसायन को 800-1000 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टयर में स्प्रे करना चाहिए.

कीटों में मक्खी, माहू से फसल को बचाने के लिए फसल में डाईमेथोएट 30 ईसी की 1 लीटर मात्रा और फेंटोथियान 50 ईसी की 1 लीटर मात्रा को 700-800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर दें.

 

सरसों की उन्नत किस्में

सरसों के बीज बाजार में काफी महंगे मिलते हैं.

इसलिए जो बीज आपने पिछले वर्ष बोया हो और फसल अच्छी रही हो तो आप इस बीज की सफाई और बीजोपचार कर तैयार खेत में बुवाई करेंगे तो परिणाम अच्छे प्राप्त होंगे.

लेकिन जिन किसानों के पास बीज नहीं है वो इन किस्मों का प्रयोग तैयार खेत में कर सकते हैं-

क्रांति, माया, वरुणा (T-59), पूसा बोल्ड उर्वशी, नरेंद्र राई प्रजातियां सरसों बुवाई के लिए उन्नत किस्में मानी जाती हैं.

असिंचित दशा में बोई जाने वाली किस्मों में वरूणा, वैभव और वरदान अच्छी मानी जाती हैं.

इसके अलावा कृषि विशेषज्ञ अरावली (आरएन-393), एनआरसी एचबी-101, एनआरसी डीआर-2, आरएच-749 को भी अच्छी उपज के लिए बढ़िया मानते हैं.

मौसम अच्छा रहे तो इन किस्मों प्रति हेक्टेर 20-26 क्विंटल सरसों प्राप्त की जा सकती है.

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