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गेहूं, चना और सरसों की फसल के लिए ICAR की एग्रोमेट एडवायजरी

फटाफट कर लें ये सारे काम

 

सर्द तापमान, कोहरा और शीतलहर के बीच ICAR ने भी किसानों के लिए एग्रोमेट एडवायजरी जारी की है, जिसमें गेहूं, चना, सरसों और सब्जी फसल की निगरानी करने की सलाह दी गई है.

 

नए साल के पहले सप्ताह में ही तापमान शुष्क रहने लगा है.

देश के ज्यादातर इलाकों में कोहरा छाए रहने का अनुमान है तो कुछ इलाकों में शीतलहर चलने का भी अनुमान है.

ऐसे में मौसम वैज्ञानिक लगातार सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं.

इन दिनों रबी सीजन की  गेहूं, चना और सरसों और सब्जी फसलों की खेती जारी है.

तापमान में गिरावट का बुरा असर फसल पर ना पड़े, इसलिए समय-समय पर कृषि वैज्ञानिक कृषि आधारित एग्रोमेट एडवायजरी जारी करते हैं.

इसी कड़ी में भाकृअनुप – भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने 4 जनवरी तक के लिए रबी फसलों में प्रबंधन और निगरानी करने की सलाह दी है, ताकि शुरुआत से ही सावधानी बरतकर नुकसान को कम किया जा सके.

किसानों को सलाह है कि जल्द से जल्द खेतों में यह सभी कृषि कार्य निपटा लें.

 

गेहूं की फसल में सिंचाई, बढ़ा दें निगरानी

खरीफ फसलों की देरी से कटाई के बाद कई किसानों ने गेहूं की पछेती बुवाई की है.

यदि नवंबर के अंत या दिसंबर के पहले सप्ताह में गेहूं फसल की बुवाई की थी तो फसल 21 से 25 दिन की हो गई है, जिसमें शाम के समय हल्की सिंचाई का काम कर लें. 

  • फसल में पोषण की आपूर्ति करें, जिससे पौधों का ठीक तरह से विकास हो सके. इसके लिए नाइट्रोजन की आधी मात्रा को सिंचाई के 3 से 4 दिन बाद खेतों में फैला दें. 
  • यदि फसल में दीमक के लक्षण नजर आएं तो 20 किलो रेत के साथ क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी का  मिश्रण को शाम के समय 2.0 लीटर की दर से खेतों में लगा देना चाहिए.

 

सरसों और चना की फसल में प्रबंधन कार्य

रबी सीजन की प्रमुख तिलहनी फसल में सरसों भी शामिल है.

पिछले साल कई किसानों ने सरसों की देर से बुवाई की थी, जिसमें इस समय तक खरपतवार उगने की संभावना बनी रहती है, इसलिए फसल में निराई-गुड़ाई करने की सलाह दी जा रही है.

  • इन दिनों सरसों की फसल में एफिड और सफेद जंग की भी निरंतर निगरानी करते रहें. इन दिनों चना की फसल में भी पौधे विकसित हो रहे हैं. 
  • यदि फसल में 10 से 15 प्रतिशत फूल निकल आए हैं तो 3 से 4 साल की दर से फेरोमेन ट्रैप लगाएं, जिससे फसल को कीटों के आंतक से बचाया जा सके.

 

सब्जियों की खेती में प्रबंधन कार्य

इस रबी सीजन में देश के कई इलाकों में किसानों ने सीजनल सब्जियों की फसल लगाई है.

इन दिनों तापमान में गिरावट तो रहती है, लेकिन सब्जी फसलों में कीटों का प्रकोप भी बढ़ जाता है.

खासतौर पर मटर और टमाटर की फसल में फली छेदक की संभावना बढ़ जाती है, जिसके लिए प्रति एकड़ 3 से 4 जाल फेरोमेन ट्रैप के लगाने होंगे.

  • यदि पत्तागोभी, फूलगोभी, नॉलखोल की नर्सरी तैयार की थी, तो खेत की मेड़ों पर विकसित पौधों की रोपाई कर सकते हैं. 
  • किसान चाहें तो पारंपरिक फसलों के साथ खेत के एक हिस्से में पालक, धनिया और मेथी की बुवाई भी कर सकते हैं.
  • इन पत्तेदार सब्जियों के बेहतर विकास के लिए 20 किलो यूरिया प्रति एकड़ का पर्ण छिड़काव करने की सलाह दी जा रही है.
  • इन दिनों आलू और टमाटर की फसल में भी ब्लाइट का संक्रमण देखा जाता है, जिसकी निगरानी और समय पर रोकथाम बेहद जरूरी है. 
  • इन फसलों में ब्लाइट के लक्षण दिखने पर 1.0 ग्राम कार्बेंडाजिम या 2.0 ग्राम डाइथेन-एम-45 को प्रति लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करें.
  • मटर की फसल में फलियों के सही विकास और बेहतर उपज के लिए 2 प्रतिशत यूरिया का छिड़काव करें.
  • रबी सीजन में बोई गई प्याज की फसल में थ्रिप्स कीट और बैंगनी धब्बा के संक्रमण की निगरानी करें. इनके लक्षण दिखने पर चिपचिपी सामग्री (टिपोल 1.0 ग्राम/लीटर) के साथ 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में डायथेन एम -45 का छिड़काव करें.

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