किसान डीकंपोजर की मदद से फसल अवशेषों यानी की नरवाई को खाद में बदल सकते हैं।
डीकंपोजर के छिड़काव से मात्र 15 से 20 दिन में फसल अवशेष को खाद में बदला जा सकता है। जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ने के साथ ही फसलों के उत्पादन में भी वृद्धि होती है।
फसल अवशेष यानि की नरवाई या पराली समस्या नहीं बल्कि किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है यदि किसान इसका उचित प्रबंधन करें तो।
ऐसे में किसान फसल अवशेषों से अधिक से अधिक लाभ ले सकें इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं।
इस कड़ी में कृषि विश्वविद्यालय द्वारा फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए डीकंपोजर का विकास किया गया है जिसके छिड़काव से मात्र 15 से 20 दिनों में फसल अवशेष खाद में बदल जाएगी।
इस कड़ी में जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में एवं कृषि विभाग के माध्यम से किसानों के खेतों में ड्रोन की मदद से डीकंपोजर बायोडायवटर जवाहर तरल जैव विघटक-एक का छिड़काव किया जा रहा है।
इस डीकंपोजर को जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय द्वारा बनाया गया है।
ड्रोन के माध्यम से 5 मिनट में होगा डी-कंपोजर का छिड़काव
फसल अवशेष के प्रबंधन के लिए आज के समय कई विकल्प उपलब्ध हैं। इसमें बायो डीकंपोजर के छिड़काव से खाद बनाना शामिल है।
ड्रोन के द्वारा डीकंपोजर के माध्यम से फसल अवशेष प्रबंधन करने में एक एकड़ में सिर्फ 5 से 7 मिनट का समय ही लगता है एवं 15 से 20 दिनों में फसल अवशेष खाद के रूप में परिवर्तित हो जाती है।
जिससे मिट्टी में कार्बन प्रतिशत, सूक्ष्म जीवों की संख्या में वृद्धि होती है। इसके अलावा इससे मिट्टी की कठोरता कम होती है, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति और फसलों के उत्पादन में वृद्धि होती है।
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