खंडवा के किसान ने बंजर जमीन को बनाया उपजाऊ

हल्दी और सुबबूल एक-दूसरे को दे रहे पोषक तत्व

मेहनत और हिम्मत से कुछ नया करने की ठान लें तो बंजर जमीन को भी उपजाऊ बनाया जा सकता है

खंडवा जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर खिड़गांव के किसान अंजलेश व्यास ने यही कर दिखाया है। उन्होंने 16 एकड़ पथरीली-बंजर जमीन को हरा-भरा कर दिया है।

किसान अंजलेश ने बताया कि मेरी 16 एकड़ जमीन वर्षों से बंजर पड़ी थी। एक दिन संयोग से पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का इंटरव्यू देखा।

उससे कुछ नया करने की प्रेरणा मिली। मैंने अपनी पथरीली जमीन को उपजाऊ बनाने का संकल्प लिया।

सबसे पहले छत्तीसगढ़ जाकर किसान राजाराम त्रिपाठी से नवाचार समझे। उनकी काली मिर्च और हल्दी की खेती देखी।

इसके बाद मैंने जमीन को खुदवाकर 5 गुणा 3 फीट की दूरी पर ढाई-ढाई फीट गहरे गड्‌ढे खुदवाए।

फिर ट्रैक्टर से पूरे खेत की जुताई करवाई। खेत के दो तरफ करीब एक किलोमीटर की दूरी में लखोरी और सुक्ता नदी है।

इसीलिए जमीन में पानी होने की संभावना थी। कुआं खुदवाया तो उसमें पानी निकल आया।

 

सुबबूल के बीज बोए और ड्रिप सिस्टम लगाया

सुबबूल के बीज लाकर गड्‌ढों में बोए और सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम लगाया। जिस स्थान पर पौधे बढ़ नहीं पाए, वहां क्रेट में पौधे तैयार कर लगाए।

खेत में सुबबूल के पौधे अब ऊंचे हो गए हैं। ये पेड़ 10 से 15 फीट के हुए तो खेत में प्राकृतिक पाली हाउस बन गया है।

इसीलिए पेपर मिल से अनुबंध किया है। यह कंपनी स्वयं कटाई करेगी और परिवहन कर ले जाएगी।

 

एक एकड़ में 5 हजार रुपए लागत

किसान ने बताया कि मुझे एक एकड़ की लागत करीब 5 हजार रुपए पड़ी है। ढाई साल में प्रति एकड़ सुबबूल से करीब ढाई लाख रुपए का फायदा होने की संभावना है।

इसी तरह प्रयोग करते हुए एक एकड़ में 15 हजार रुपए खर्च कर 5 क्विंटल हल्दी के बीज लगाए।

इससे 100 से 190 क्विंटल हल्दी निकलने की संभावना है। इससे आठ माह में करीब ढाई लाख रुपए की आय होना संभावित है।

यानी औसतन प्रति एकड़ हर साल साढ़े तीन लाख रुपए तक की आय होने की उम्मीद है।

किसान व्यास ने बताया-

हल्दी को खाद देने की जरूरत नहीं पड़ी। हल्दी को सुबबूल की पत्तियाें से नाइट्रोज मिल रहा है और हल्दी से सुबबूल को पोषक तत्व मिल रहे हैं। इससे दोनों फसलें खाद दिए बिना तेजी से बढ़ रही हैं। अब पेड़ों के सहारे गिलकी, तुरई जैसी बेल वाली फसलें भी ली जा सकेंगी। सुबबूल की पत्तियां बकरियां चाव से खाती हैं।

कपास किसानो के लिए खुशखबरी : MSP पर बेचने के लिए शुरू होगा पंजीयन