देसी गायों के व्यवसाय से भी लाखों करोड़ों रुपए कमाए जा सकते हैं, ऐसा सिर्फ कहने की बात नहीं है आपको बता दे की देसी गाय के डेरी फार्म से किसान सतीश थोरात हर साल 3 करोड़ तक का टर्नओवर बना रहे हैं। यह सफलता की सीढ़ी चढ़ रहे हैं।
यह पुणे महाराष्ट्र के निवासी हैं और 2019 से इन्होंने डेरी फार्मिंग की शुरुआत की थी और आज देखी देसी गायों से उन्हें इतना ज्यादा मुनाफा हो रहा है।
सालाना 3 करोड रु का टर्नओवर
चलिए इस लेख में आपको बताते हैं कि किसान सतीश जी कितनी गायों से शुरुआत की और आज उनके पास कितनी गाय हैं और दूध के साथ अन्य किन चीजों की वह बिक्री करते हैं। जिससे इतना मुनाफा हो रहा है।
जानिए कितनी गाय हैं
अगर आप डेरी फार्म का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो आपको अन्य लोगों के बारे में पता होना चाहिए जो इस व्यवसाय में सालों से काम कर रहे हैं।
जिसके लिए आपको ऐसे लोगों से मिलना चाहिए। इसीलिए आज हम आप लोगों के साथ इस सफल किसान की कहानी लेकर आए हैं।
जिसमें आपको बता दे की सतीश जी ने 2019 में जब डेरी फार्म की शुरुआत की तब उन्होंने 50 देसी गाय रखी थी।
लेकिन अगर आप चाहे तो 10 गायों से भी शुरू कर सकते हैं। उन्होंने तो 50 गाय से शुरू किया था और आज उनके पास 200 से अधिक गाय हैं।
जिससे हर दिन 1000 लीटर तक दूध मिल जाता है और इसकी बिक्री करके वह अधिक मुनाफा कमाते हैं।
देसी गाय का दूध होने के कारण कीमत अधिक मिलती है तो चलिए इसके बारे में भी जानते हैं।
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किन चीजों की करते हैं बिक्री
डेरी का व्यवसाय करते हैं तो दूध के साथ-साथ अन्य चीजों से भी आप कमाई कर सकते हैं। जिसमें किसान सुरेश बताते हैं कि वह दूध दही और ‘चीज’ की भी बिक्री करते हैं।
जी हां चीज का इस्तेमाल बहुतायत होता है। आने वाले समय में इसका इस्तेमाल और भी बढ़ता ही जाएगा। दही की भी कीमत अच्छी मिलती है।
देसी गाय का दूध, दही अधिक कीमत में बिकता है। वह बताते हैं कि 99 रुपए का वह 1 लीटर दूध ही बेचते हैं।
इसके अलावा वह चारे का पैसा भी गोबर की मदद से बचा लेते हैं तो चलिए आपको बताते हैं वह चारा का पैसा कैसे बचाते हैं।
चारा का खर्चा कैसे बचाते हैं
डेरी उद्योग में चारा का खर्चा बहुत आता है। लेकिन अनाज और अन्य चारों के अलावा सबसे अच्छा हरा चारा भी होता है।
हरा चारा अगर पशुओं को देते हैं तो साल भर बराबर मात्रा में पशुपालकों को अधिक दूध मिलता है।
जिसके लिए वह क्या करते हैं कि किसानों को गोबर दे देते हैं और उनसे चारा ले लेते हैं।
गोबर का इस्तेमाल करके किसान खाद का पैसा बचा लेते हैं और चारा निकाल कर पशुपालक को दे देते हैं।
जिससे उनके चारा का खर्चा बच जाता है। इस तरह दोनों की मदद हो जाती है।
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