हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें
WhatsApp Group Join Now

जानिए सोयाबीन की बुआई का सही समय क्या है

खरीफ सीजन में सोयाबीन तिलहन की मुख्य फसल हैकई राज्यों में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है।

वैसे तो सोयाबीन की बुआई का समय हो गया हैपरंतु इस वर्ष मानसून के आने में देरी होने से किसान अभी असमंजस में है की सोयाबीन की बुआई कब करें।

सोयाबीन उत्पादक कई राज्यों में अभी मानसून के आने में देरी है जिससे इन राज्यों अभी काफी तेज गर्मी पड़ रही है

ऐसे में किसानों को सोयाबीन की बुआई कब करनी चाहिए इसकी जानकारी आज हम आपके लिए लेकर आए हैं।

 

सोयाबीन की बुआई कब करें किसान

वैसे तो अभी तक किए गए अनुसंधान में पाया गया है की सोयाबीन की बुआई के लिए जून माह के दूसरे सप्ताह से जुलाई माह का प्रथम सप्ताह सबसे उचित होता है

परंतु यदि मानसून के आने में देरी हो तो किसान इसकी बुआई थोड़ा रुककर कर सकते हैं।

किसानों को मानसून आने के बाद ही जब कम से कम 10 सेमी वर्षा हो जाए उसके बाद ही सोयाबीन की बुआई करनी चाहिए।

 

बुआई के समय सोयाबीन में कितना यूरिया एवं डीएपी डालें

किसानों को अंतिम बखरनी के पहले पूर्णतः पकी हुई गोबर की खाद की अनुशंसित मात्रा 5 से 10 टन/हेक्टेयर या कम्पोस्ट 5 टन/हेक्टेयर या वर्मी कम्पोस्ट 2.5 टन प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिला देना चाहिए।

सोयाबीन की फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्वों 25:40:60:20 किलोग्रामहेक्टेयर (नाईट्रोजनफास्फोरसपोटाश व सल्फरकी पूर्ति केवल बोनी के समय करनी चाहिए।

इसके लिए इनमें से कोई भी एक उर्वरकों के स्रोत का चयन किया जा सकता है। 

  1. यूरिया 56 Kg + 375-400 Kg सिंगल सुपर फास्फेट व 67 Kg म्यूरेट ऑफ़ पोटाशया 
  2. डी..पी. 125 Kg + 67 Kg म्यूरेट ऑफ़ पोटाश + 25 Kg /हेक्टेयर  बेन्टोनेट सल्फरया 
  3. मिश्रित उर्वरक 12:32:16 का 200 किलोग्राम + 25 Kg / हेक्टेयर बेन्टोनेट सल्फर का छिड़काव करें।

 

किसान इस तरह करें सोयाबीन की बुआई

पिछले कुछ वर्षों में मानसूनी बारिश की अनिश्चितताओं के चलते सोयाबीन की फसलों को काफी नुकसान होता रहा है।

जिसके चलते बहुत से किसानों ने तो सोयाबीन की खेती करना ही छोड़ दिया है।

सोयाबीन को अधिक वर्षा या कम वर्षा की स्थिति से बचाने के लिए किसान ऊंची क्यारी विधि या रिज एंड फरो विधि से ही सोयाबीन की बुआई करनी चाहिए।

किसानों को उपलब्धता अनुसार अपने खेत में विपरीत दिशाओं में 10 मीटर के अंतराल पर सबसोइलेर नमक यंत्र को चलाना चाहिए

जिससे भूमि की जलधारण क्षमता में वृद्धि होगी एवं सूखे की अनपेक्षित स्थिति में फसल को अधिक दिन तक बचाने में सहायता मिलेगी।

यह भी पढ़े : किसानों को मिलता है सीधे 3 लाख का लोन, वो भी कम ब्याज पर

 

यह भी पढ़े : सोयाबीन की बुआई से पहले किसान अपने खेतों में करें यह काम

 

शेयर करें