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यूट्यूब से खेती सीख कर लखपति बन गए अनिल वर्मा

खारगौन के रहने वाले 46 साल के किसान अनिल वर्मा आज अपने आसपास के किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं. वह पिछले तीन वर्षों में छह लाख रुपये से अधिक का मुनाफा कमाने वाले किसान बन गए हैं.

लेकिन इस मुनाफे को कमाने के लिए उन्‍होंने नए जमाने की टेक्‍नोलॉजी और टेलीमैटिक्स को अपनाया.

 

सहजन ने बढ़ाई कमाई

डिजिटल इंडिया का मंत्र हर सेक्‍टर को बदल रहा है और अब तो खेती किसानी में भी इसका असर दिखने लगा है.

डिजिटल टेक्‍नोलॉजी ने पूरी दुनिया में फूड सप्‍लाई चेन को और मजबूत किया है और दिन पर दिन इसका महत्‍व बढ़ता जा रहा है.

आज हम आपको मध्‍य प्रदेश के एक ऐसे ही किसान की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने डिजिटल क्रांति का फायदा उठाया और अब हर साल बंपर मुनाफा कमा रहे हैं.

कहानी मध्‍य प्रदेश के खरगोन जिले के एक ऐसे किसान की है जिन्होंने फसल की पैदावार में सुधार करने के लिए मॉर्डन टेक्‍नोलॉजी को अपनाया.

 

यू-ट्यूब से सीखी सहजन की खेती

खरगौन के रहने वाले 46 साल के किसान अनिल वर्मा आज अपने आसपास के किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं.

वह पिछले तीन वर्षों में छह लाख रुपये से अधिक का मुनाफा कमाने वाले किसान बन गए हैं.

लेकिन इस मुनाफे को कमाने के लिए उन्‍होंने नए जमाने की टेक्‍नोलॉजी और टेलीमैटिक्स को अपनाया.

अनिल खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर एक छोटे से रायबिदपुरा गांव में रहते हैं.

आपको जानकर हैरानी होगी कि अनिल वर्मा ने यू-ट्यूब से मिले ज्ञान की मदद से सहजन की खेती करनी शुरू की और अब हर तीन साल में छह लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं.

यह भी पढ़े : फसल के अच्छे उत्पादन में सल्फर का महत्व और कमी के लक्षण

 

लॉकडाउन में हुआ टेक्‍नोलॉजी से प्‍यार

अनिल एक बहुत ही साधारण किसान थे लेकिन आज वह टेक सेवी (टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट) बन गए हैं.

चार साल पहले यानी कोविड-19 के समय जब देश में लॉकडाउन लगा तो उन्‍हें टेक्‍नोलॅाजी से प्‍यार हो गया.

अनिल को पहले लॉकडाउन के दौरान महाराष्‍ट्र के एक किसान से सहजन के बीज और फलियों के बारे में जानकारी मिली.

इसके बाद उन्होंने यूट्यूब पर इस फसल के बारे में जानकारी जुटाई. साथ ही इसकी खेती के लिए उनकी दिलचस्‍पी बढ़ने लग गई.

साल 2019 में वह मनरेगा से जुड़े और अब तक वह पांच फसलों से फायदा उठा चुके हैं.

साथ ही छठी फसल लेने के लिए तैयार हैं. इससे उन्हें अब तक 6 लाख रुपये तक का मुनाफा हो चुका है.

 

सहजन एक, फायदे अनेक

सहजन की आधुनिक खेती की मदद से अब वो अंतरवर्ती फसल (इंटरक्रॉपिंग) को भी बढ़ावा दे रहे हैं.

अनिल ने ग्रेजुएशन किया हुआ है. पढ़ाई पूरी करने के बाद खेती-किसानी करने वाले अनिल हमेशा कुछ नया करने की चाह में कई नई प्रकार की तकनीक सीख चुके हैं.

वह कहते हैं कि सहजन या मोरिंगा की देश के साथ-साथ विदेशों में भी अच्छी मांग है.

पौष्टिक होने के साथ ही साथ आयुर्वेद में इसका बहुत महत्व है. इसमें दूध से चार गुना अधिक पोटेशियम, सात गुना ज्‍यादा कैल्शियम और संतरे से सात गुना ज्‍यादा विटामिन होते हैं.

 

पत्तियों के पाउडर का भी बिजनेस

अनिल अब इसकी पत्तियों का पाउडर बनाकर उसे ठीक मात्रा में गेहूं के आटे में मिलाकर व्यवसाय भी कर रहे हैं.

यह पाउडर हड्डियों की बीमारी और बच्चों में कुपोषण दूर करने में मददगार है.

अधिकारियों ने अनिल के खेत पर मनरेगा के तहत पौधे लगाने के लिए डिटेल्‍ड प्रोजेक्‍ट रिपोर्ट यानी डीपीआर भी तैयार की थी.

इसमें 1200 पौधों के लिए मजदूरी के लिए 110704 रुपये और सामग्री के लिए 21,600 रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई थी.

अनिल ने अपने संसाधनों की मदद से लगभग 2.50 एकड़ में खेती शुरू की है और पानी के लिए ड्रिप सिस्टम भी लगाया है.

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