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मशीन बैंक ने बदल दी आदिवासी युवा धन सिंह की किस्मत

 

300 किसानों को देते हैं कृषि यंत्र

 

कस्टम हायरिंग सेंटर के जरिए मध्य प्रदेश के किसानों को सस्ते किराये पर मिल रहे हैं कृषि यंत्र.

इससे खेती-किसानी काफी आसान हो गई है.

 

उन्नत कृषि यंत्रों से एक मामूली किसान धनसिंह टेकाम स्वरोजगार स्थापित कर मालामाल हो रहे हैं.

आज यह युवा कृषक किसानों को उन्नत कृषि यंत्र किराए पर देकर हर साल लाखों रुपये की आय प्राप्त कर रहा है.

धन सिंह अनुपपुर जिले में स्थित पुष्पराजगढ़ तहसील के ग्राम पंचायत बसनिहा के रहने वाले हैं.

 

तीन साल पहले राज्य सरकार के कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा निजी कस्टम हायरिंग योजना के तहत उन्हें 12 लाख 20 हजार रुपए का प्रोजेक्ट मशीन बैंक बनाने के लिए मिला था.

इसमें दो ट्रैक्टर, थ्रेशर, प्लाऊ, कल्टीवेटर, रेज्डबेड प्लान्टर जैसे उन्नत कृषि यंत्र मुहैया कराए गए.

तकनीकी सहयोग भी प्रदान करते हुए 6 लाख दस हजार रुपये का अनुदान दिया गया. इस प्रोजेक्ट ने आदिवासी युवा धनसिंह की किस्मत पलट दी.

पहले साल ही करीब पांच लाख रुपये का कारोबार किया, उसके बाद यह आमदनी बढ़ती चली गई.

 

कभी नौकरी के लिए मोहताज थे

एक समय था, जब ग्रेजुएशन करने के बाद काफी कोशिशों के बाद भी धनसिंह को नौकरी नहीं मिल रही थी.

निजी कस्टम हायरिंग केन्द्र से हुई कमाई से धन सिंह ने इलेक्ट्रिकल्स की दुकान समेत मोटर बाइडिंग, पंप सुधारने की दुकान स्थापित कर ली.

उसने कल्टीवेटर, धान थ्रेशर, पैरा कटर आदि भी खरीद लिए. इससे कारोबार और आमदनी बढ़ती चली गई.

 

300 किसानों को देते हैं कृषि यंत्र

आज धन सिंह आसपास के गांवों के 300 कृषकों को उन्नत कृषि यंत्र किराए पर देकर न सिर्फ अच्छी कमाई कर रहे हैं.

वो इसके माध्यम से किसानों को फसलों का उत्पादन बढ़ाने में भी मदद भी कर रहे हैं.

यहां से किसानों को सस्ती दर पर कृषि यंत्र मिल जाते हैं. जिससे उनकी खेती अच्छी होती है.

वह अपने कारोबार में कई ग्रामीण युवकों को रोजगार भी दे रहे हैं. अब धन सिंह जिले के बाहर भी अपना व्यापार बढ़ाने में लगे हैं.

धनसिंह बताते हैं कि उन्नत कृषि यंत्रों के कारोबार ने उसको आजीविका की सम्मानजनक स्थिति में पहुंचा दिया है.

उन्नत कृषि यंत्रों के कारोबार में अच्छा पैसा मिल रहा है.

 

धनसिंह ने बढ़ते कारोबार में न सिर्फ अपने तीन भाइयों को रोजगार दिया बल्कि अन्य लोगों को भी काम मुहैया करवाया.

उनके परिवार में 4 भाई, सभी की पत्नियों बच्चों समेत करीब 20 लोग एक साथ रहते हैं.

अब तो पुराने कच्चे मकान की जगह नौ कमरे का पक्का मकान भी बनवा रहे हैं. वो इस महत्वपूर्ण योजना का धन्यवाद देना नहीं भूलते.

 

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