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लेमनग्रास की खेती से होने वाली कमाई की पूरी गणित समझिए

 

एक बार लगाइए, वर्षों मुनाफा काटिए

 

लेमनग्रास का पौधा लगभग 6 महीने में तैयार हो जाता है. इसके बाद हर 70 से 80 दिनों में इसकी कटाई हो सकती है.

साल में कम से कम 5 से बार किसान इसकी कटाई कर सकते हैं. एक पौधा कम से कम 6 से 7 साल चलता है.

 

ज्यादा नहीं, बस 20 से 40 हजार रुपए लगाकर अगर 4 से 5 लाख रुपए तक की कमाई हो जाए तो सौदा घाटे का तो नहीं कहा जा सकता ना.

लेमनग्रास की खेती का हिसाब-किताब कुछ ऐसा ही है. एक बार लगाइए और 6 से 7 साल तक मुनाफे की फसल काटिए.

मन की बात के 67वें संस्करण में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लेमनग्रास की खेती का जिक्र किया था और कहा था कि किसान इससे खुद को सशक्त बना रहे हैं और देश की तरक्की में अपना योगदान दे रहे हैं.

 

पहले जानिए लेमनग्रास है क्या

लेमनग्रास को हिंदी में नींबू घास भी कहा जाता है. देश में इसकी खेती हर साल बढ़ रही है.

ज्यादा मुनाफा होने की वजह से किसान इससे जुड़ रहे हैं और सरकार भी इसको बढ़ावा दे रही है.

लेमनग्रास एक ट्रोपिकल प्लांट होता है जिसमें 3 से 8 से फीट के पत्ते उगते हैं. स्वाद और गंध नींबू की तरह होता है.

भारत में केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों, पूर्वोत्तर क्षेत्र में असम और उत्तरी क्षेत्र में उत्तरांचल में इसकी खेती होती है.

इसके पत्तों में विटामिन ए, विटामिन बी 1 (थायमिन), विटामिन बी 2 (राइबोफ्लेविन), विटामिन बी 3 (नियासिन), विटामिन बी 5 (पैंटोथेनिक एसिड), विटामिन बी 6 (पाइरिडोक्सिन), विटामिन सी और फोलेट, कैल्शियम के अलावा आवश्यक खनिज जैसे- पोटेशियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, तांबा, लोहा और जस्ता पाया जाता है.

 

कब और कैसे होती है लेमनग्रास की खेती

अगर आप लेमनग्रास की खेती शुरू करना चाहते हैं कि तो सबसे पहले यह जानना होगा कि इसकी खेती का सही समय क्या होगा और इसे शुरू कैसे करेंगे.

मार्च-अप्रैल का महीना इसकी नर्सरी के लिए सबसे सही समय होता है.

नर्सरी तैयार हो जाए तो बुवाई की गहराई कम से कम तीन सेंटीमीटर जरूर रखें. लगाने से पहले एक बार रासायनिक उपचार जरूर करें.

 

लेमनग्रास का पौधा लगभग 6 महीने में तैयार हो जाता है. इसके बाद हर 70 से 80 दिनों में इसकी कटाई हो सकती है.

साल में कम से कम 5 से बार किसान इसकी कटाई कर सकते हैं. एक पौधा कम से कम 6 से 7 साल चलता है.

मतलब एक बार इसे लगा देने के बाद आपको अगले कई सालों तक पत्तों को काटते रहना है और मुनाफा लेते रहना है.

 

एक रुपए से भी कम में मिलता है लेमनग्रास का एक पौधा

लेमनग्रास का एक पौधा एक रुपए से भी कम कीमत में मिलता है और इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे न तो मवेशी खाते हैं और न ही इसमें रोग लगता है.

यही वजह है लेमनग्रास ज्यादा मुनाफा देता है. राज्यों की बागवानी बोर्ड जाकर इसके पौधे खरीद सकते हैं और ज्यादा जानकारी भी ले सकते हैं.

 

लेमनग्रास की खेती पर सरकार कितना सब्सिडी देती है ?

जैसा की हम ऊपर ही बात कर रहे थे कि केंद्र और राज्य सरकारें इसकी खेती को बढ़ावा दे रही हैं.

इसी के तहत बागवानी बोर्ड राज्यवार किसानों को अलग-अलग तरह से सब्सिडी देता है.

राज्य सरकार इसकी खेती के लिए प्रति एकड़ 2 हजार रुपए सब्सिडी दे रही जबकि डिस्टीलियेशन यूनिट लगाने के लिए 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी अलग से दी जा रही है.

 

लेमनग्रास से होने वाली कमाई का गणित समझिए

हर साल चार से पांच बार लेमनग्रास की कटाई की जा सकती है. एक हेक्टेयर भूमि से 4 कटाइयों में 250 से 300 लीटर तेल प्रति वर्ष प्राप्त किया जा सकता है.

जो आने वाले वर्षों में और बढ़ता है. तेल की कीमत बाजार में 1,000 से लेकर 1,500 रुपए होती है.

मतलब अगर 300 लीटर तेल निकला तो उसकी कुल कीमत होगी लगभग 400,000 से 450,000 रुपए जबकि एक बार की इसकी खेती में खर्च आता है मुश्किल से 20,000 से 40,000 रुपए, इतने पैसे लगाकर आप कई साल तक मुनाफे की फसल काट सकते हैं.

 

भारत में सालाना लगभग 1000 मीट्रिक टन लेमनग्रास का उत्पादन होता है और इस समय भारत सिर्फ 5 करोड़ रुपए का लेमन ग्रास तेल निर्यात कर रहा है.

इसके तेल और पत्तियों का प्रयोग दवाओं और सौंदर्य प्रसाधन में किया जाता है.

 

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