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खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश

 

नित नए बना रहा रिकार्ड

 

समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद में पंजाब को पीछे छोड़कर बना देश का पहला राज्य।

 

  1. धान खरीद का अपना ही रिकार्ड तोड़ा, दलहन फसलों में भी आगे
  2. छह बार मिल चुका है कृषि कर्मण पुरस्कार

 

कृषि क्षेत्र में मध्य प्रदेश नित नए रिकार्ड बनाता जा रहा है। खाद्यान्न् उत्पादन में प्रदेश आत्मनिर्भर बन चुका है।

गेहूं के उत्पादन में लगातार वृद्धि के साथ समर्थन मूल्य पर पिछले साल 129 लाख टन से ज्यादा खरीद करके पंजाब को भी पीछे छोड़ दिया है।

37 लाख टन धान का उपार्जन करके प्रदेश 25.87 लाख टन की खरीद का अपना ही रिकार्ड तोड़ चुका है।

खाद्यान्‍न उत्पादन के लिए मध्य प्रदेश को लगातार छह बार कृषि कर्मण पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।

 

उद्योग स्थापित किए जा रहे हैं

रोजगार देने का सबसे बड़ा क्षेत्र होने के साथ अब इसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को अधिक सशक्त करने का माध्यम भी बनाया जा रहा है।

केंद्र सरकार की कृषि अधोसंरचना निधि के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण केंद्रों की स्थापना के साथ छोटे-छोटे उद्योग भी तेजी के साथ स्थापित किए जा रहे हैं।

 

मध्य प्रदेश में कृषि विकास दर लंबे समय से दो अंकों में बनी हुई है। कोरोना काल में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संभालने और रिकार्ड गेहूं की खरीद करने वाला राज्य मध्य प्रदेश बना।

अब तक यह तमगा पंजाब को हासिल था पर किसानों की मेहनत और सरकार की नीतियों की बदौलत मध्य प्रदेश ने नया मुकाम हासिल किया।

सोयाबीन में प्रदेश की धाक पहले की तरह जमी हुई है पर अब अन्य उपज के मामले में भी मध्य प्रदेश ने तेजी से प्रगति की है।

लगभग 151 लाख हेक्टेयर में खेती की जाती है।

 

उत्पादन में तीसरे स्थान पर

प्रदेश की 72 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है और अधिकांश की निर्भरता कृषि क्षेत्र पर ही है।

राज्य की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि और उससे जुड़े क्षेत्र हैं। एक करोड़ से ज्यादा किसान हैं और उनमें 27.15 प्रतिशत लघु कृषक हैं।

इनके पास भूमि एक से दो हेक्टेयर है। 48.3 प्रतिशत सीमांत कृषक हैं, जिनके पास अधिकतम एक हेक्टेयर भूमि है।

सोयाबीन, चना, उड़द, तुअर, मसूर और अलसी के उत्पादन में मध्य प्रदेश पहले स्थान पर है।

जबकि, मक्का, तिल, रामतिल और मूंग के उत्पादन में दूसरे और गेहूं, ज्वार और जौ के उत्पादन में तीसरे स्थान पर है।

 

ग्रीष्मकालीन मूंग का उत्पादन भी इस 12 लाख टन से अधिक रहा है, जो अब तक का सर्वाधिक उत्पादन है।

उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ किसानों की आय में भी वृद्धि हो रही है।

सिर्फ गेहूं की खरीद के विरुद्ध किसानों को 22 हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया।

साथ ही कृषि में लागत घटाने के लिए सरकार बिजली, खाद, बीज पर अनुदान देने का काम भी कर रही है।

सरकार का जोर इस बात पर है कि किसान उद्यमी भी बनें और खाद्य प्रसंस्करण इकाई लगाएं।

कस्टम प्रोसेसिंग सेंटर बनाए जाने की भी योजना है ताकि किसान प्रसंस्करण करने के बाद अच्छी कीमत मिलने पर उपज बेचे।

 

सिंचाई का क्षेत्र बढ़ने से उत्पादन में वृद्धि

प्रदेश में खाद्यान्न् उत्पादन में वृद्धि का मुख्य कारण सिंचाई का क्षेत्र बढ़ना है।

प्रदेश में अब शासकीय और निजी स्रोतों से लगभग 110 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित है।

सरकार ने सिंचाई क्षमता में मार्च 2022 तक एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र की वृद्धि करने का लक्ष्य रखा है।

इसके लिए नर्मदा नदी से जुड़ी परियोजनाओं पर तेजी से काम किया जा रहा है।

केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए प्रारंभिक सभी तैयारियां हो गई हैं।

इससे मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में चार लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित होगी।

 

घर से ही बिकेगी उपज

प्रदेश में अब किसान घर या खलिहान से अपनी उपज मर्जी से व्यापारी को बेच सकते हैं।

इसके लिए सरकार ने आनलाइन व्यवस्था प्रारंभ की है। इससे किसान को मंडी में आने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

मंडियों में पंजीकृत व्यापारी किसान के पास जाएंगे और सौदा करेंगे। यदि दोनों के बीच सहमति बनती है तो व्यापारी एप पर जानकारी दर्ज करेगा।

किसान के पास एसएमएस पहुंचेगा, जिसके आधार पर यह तय होगा कि आपसी सहमति से सौदा हुआ है। इसी तरह भुगतान के लिए भी एसएमएस आएगा।

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