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रोज हस्तांतरित हो रहे 3.50 करोड़ रुपए

 

किसानों के लिए खुशखबरी

 

दुग्ध संघों द्वारा प्रतिदिन लगभग साढ़े तीन करोड़ रूपये की राशि का हस्तांतरण शहरी अर्थ-व्यवस्था से ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था में किया जा रहा है।

 

मध्य प्रदेश के किसानों के लिए अच्छी खबर है।शिवराज सरकार की पहल से दुग्ध उत्पादक किसानों को रोज़ 3.50 करोड़ रूपये हस्तांतरित हो रहे हैं।

वही दुग्ध संघों द्वारा 7 हजार से अधिक दुग्ध सहकारी समितियों के ढ़ाई लाख सदस्यों के माध्यम से प्रतिदिन 10 लाख लीटर दूध का संकलन किया जा रहा है।

प्रबंध संचालक एमपी स्टेट डेयरी को-ऑपरेटिव फेडरेशन शमीमुद्दीन ने बताया कि आगामी 15 नवंबर 2021 से जनजातीय क्षेत्रों में बकरी के दूध का संकलन भी प्रारंभ किया जा रहा है।

इससे आदिवासी लोगों की आय में इजा़फा होगा।

 

आय में इज़ाफा हुआ

दरअसल, मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान के खेती को लाभ का धंधा बनाने के मिशन ने किसानों की आय के संसाधनों में उल्लेखनीय वृद्धि की है।

पशुपालन और मत्स्य पालन से भी आय में इज़ाफा हुआ है।

प्रदेश में एमपी स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन द्वारा संचालित दुग्ध संघों द्वारा प्रतिदिन लगभग साढ़े तीन करोड़ रूपये की राशि का हस्तांतरण शहरी अर्थ-व्यवस्था से ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था में किया जा रहा है।

 

दुग्ध प्र-संस्करण स्थापित किये गये

लॉकडाउन के दौरान जहाँ अनेक रोजगार प्रभावित हुए थे, वहीं प्रदेश के सभी 6 दुग्ध संघों द्वारा इस अवधि के दौरान दुग्ध उत्पादक किसानों से 2 करोड़ 54 लाख लीटर दूध अतिरिक्त रूप से क्रय किया गया।

इसके लिये दुग्ध उत्पादकों को 94 करोड़ रूपये का अतिरिक्त भुगतान होने से उन्हें एक महत्वपूर्ण आर्थिक संबल मिला।

दुग्ध संघों द्वारा नवीन उत्पाद निर्माण सुविधाओं का भी निर्माण किया जा रहा है।

इंदौर में आइस्क्रीम और जबलपुर में पनीर संयंत्र की स्थापना की गई है।

सागर तथा खंडवा में नवीन दुग्ध प्र-संस्करण स्थापित किये गये हैं।

दुग्ध चूर्ण निर्माण में आत्म-निर्भरता के मद्देनजर इंदौर में 30 मीट्रिक टन क्षमता के संयंत्र की स्थापना की जा रही है।

 

चलते लोगों में काफी लोकप्रिय

दुग्ध संघों द्वारा आपूर्ति किये जा रहे दूध, घी, दही, पेड़े, मट्ठा, श्रीखंड, पनीर, छेना रबड़ी, गुलाब जामुन, रसगुल्ले, आइस्क्रीम (इंदौर), शुगर-फ्री पेड़ा (भोपाल), मिल्क केक, मीठा दही, फ्लेवर्ड मिल्क आदि गुणवत्ता के चलते लोगों में काफी लोकप्रिय हैं।

दुग्ध सहकारी समितियों के माध्यम से दुग्ध उत्पादकों को दुग्ध विक्रय के अतिरिक्त कई अन्य सुविधाएँ भी दी जा रही हैं।

इनमें उचित मूल्य पर पशु आहार, चारा बीज, पशु नस्ल सुधार, पशु प्रबंधन प्रशिक्षण, Kisan Credit Card, पशुओं की डी-वार्मिंग, बच्चों के लिये पुरस्कार योजना और बीमा योजना का लाभ शामिल है।

 

टेंकरों में डिजिटल लॉक एवं ट्रेकिंग सिस्टम

देश में पहली बार मध्यप्रदेश में  MPCDF द्वारा दुग्ध संकलन करने वाले टैंकरों में डिजिटल लॉक और व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम लगाया जा रहा है।

दुग्ध संघों में वेब आधारित ERP सॉफ्टवेयर का क्रियान्वयन प्रारंभ किया गया है।

इससे दूध संकलन से दूध वितरण तक की संपूर्ण प्रक्रिया एकीकृत कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के माध्यम से संचालित होगी और रास्ते में दूध में किसी भी तरह की मिलावट नहीं की जा सकेगी।

डेयरी संयंत्रों में प्रशिक्षित जन-शक्ति उपलब्ध कराने के लिये दूध एवं दुग्ध पदार्थ तकनीशियन का ट्रेड औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के सहयोग से प्रारंभ किया गया है।

स्मार्ट सिटी की अवधारणा के अनुरूप नये स्मार्ट पार्लर भी स्थापित किये जा रहे हैं।

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