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महाराष्ट्र के कांदा संगठन से जुड़े किसान, सस्ते में मिला बीज

 

नई तकनीक और बेचने की जानकारी भी ले रहे किसान

जिले के किसान प्याज की खेती को लेकर अब विशेष सावधानी बरतने लगे हैं। हालात यह हैं कि मध्यप्रदेश के किसान अब महाराष्ट्र के कांदा उत्पादक संगठन से जुड़ गए हैं। उनसे प्याज के बेहतर उत्पादन के लिए मार्गदर्शन और तकनीक सीख रहे हैं, बल्कि हाल ही में एक बड़ा फायदा भी उठाया है। जिले के किसानों के साथ-साथ आसपास के क्षेत्र के किसानों ने इस संगठन के माध्यम से सस्ते में बीज खरीद कर काफी बचत की है। महाराष्ट्र के संगठन के माध्यम से प्याज खरीदने पर किसानों को प्रति किलो करीब तीन हजार रुपए तक का फायदा हुआ है।

 

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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसान उत्पादक संगठन को लेकर विशेष रूप से प्रोत्साहन दिया जा रहा है। ऐसे में अब हर स्तर पर संगठन तैयार होने लगे हैं। खासकर किसानों के उत्पादन संबंधी मामलों के संगठन के कारण धीरे-धीरे क्रांति आ रही है। यह संगठन न केवल किसानों का लाभ कर रहे हैं, बल्कि नीतिगत मामलों में भी हस्तक्षेप करते नजर आ रहे हैं। जिले के बदनावर का नाम प्याज उत्पादन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है। ग्राम कठोरिड़ा बड़ा के युवा कृषक धर्मपाल पंवार ने बताया कि हम प्याज की फसल में नुकसानी से बचना चाहते हैं। हाल ही में प्याज उत्पादक संगठन का यह फायदा हुआ कि किसानों को बहुत महंगे दाम पर बीज मिल रहा था। बाजार में करीब 8 हजार रुपए प्रति किलो बीज उपलब्ध हो रहा था। ऐसे मैंने महाराष्ट्र के संगठन से चर्चा की और वहां से 4 हजार 500 रु प्रति किलो में किसानों को बीज उपलब्ध कराया। इस तरह के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। इससे 50 किसानों को करीब 10 लाख रुपये की बचत हुई है।

 

पंवार ने बताया कि आने वाले समय में प्याज के मामले में बनी नीति में किसानों की भागीदारी रहेगी। किसान कांदा उत्पादक संगठन से जुड़े रहेंगे। कांदा उत्पादन संगठन के प्रवक्ता शैलेंद्र पाटील ने लगातार हमें मार्गदर्शन दिया है। अब हम जल्द ही प्याज में मामले में नई तकनीक पर भी काम करेंगे। इसके तहत प्याज की नर्सरी को बचाने के लिए फसल कवर यानी लो टनल प्रणाली आई है। किसान नर्सरी को इससे सुरक्षित रखेगा। इससे प्याज उत्पादन के क्षेत्र में दिक्कत नहीं होगी।

 

हर स्तर पर रखा ध्यान इसलिए बच गई नर्सरी

गौरतलब है कि जिले में बड़ी संख्या में किसानों को बारिश के कारण नुकसान हुआ है। किसानों के बारे में चर्चा करने पर यह सामने आती है कि कई लोग अपने घर पर ही प्याज की नर्सरी तैयार करते हैं। युवा कृषक पंवार का कहना है कि इस बार सभी स्तर पर नुकसान की स्थिति बनी, लेकिन समय-समय पर हमने सिंचाई करने से लेकर कृषि विज्ञान के बारे में ध्यान रखा। उसी का लाभ हमें यह मिला कि खेत पर हमने जो प्याज की नर्सरी तैयार की थी वह सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि बेमौसम की बारिश से बचाव के लिए हमें प्रयास करना होंगे। नई तकनीक अपनाएंगे। जिससे प्याज लेकर अन्य फसलों में हमें लाभ मिले।

 

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प्याज की खेती को लेकर जल्द ही स्थानीय स्तर पर भी संगठन तैयार करने जा रहे हैं, ताकि नुकसान की स्थिति नहीं बने। किसानों को सस्ते में बीज उपलब्ध हो और इतना ही नहीं प्याज उत्पादन के बाद किसान उसकी मार्केटिंग करें। इस दिशा में भी हम कदम उठाने जा रहे हैं।

 

29डीएचआर11 या 12 -धार के ग्राम कठोड़िया बड़ा में प्याज की नर्सरी तैयार की गई।

 

source : naidunia

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