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पाम ऑयल की नर्सरी लगाने के लिए मोदी सरकार देगी 80 लाख और 1 करोड़ रुपए

 

पाम ऑयल रोपण के लिए सामग्री पर मिलने वाले अनुदान में भी बढ़ोतरी की गई है.

 

पहले 12 रुपए प्रति हेक्टेयर दिए जाते थे, अब सरकार ने निर्णय लिया है कि इस काम के लिए किसानों को 29 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर दिए जाएंगे.

 

खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दृष्टि से भारत सरकार ने बुधवार को ‘नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स-ऑयल पाम’ को लागू करने की मंजूरी दे दी.

इस संबंध में मीडिया को जानकारी देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि यह मोदी सरकार का बहुत बड़ा कदम है.

हम बीते 7 सालों से लगातार कोशिश कर रहे हैं कि भारत में खाद्य तेल का उत्पादन बढ़े और हमारी निर्भरता आयात पर से कम हो.

 

कृषि मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत पाम ऑयल की नर्सरी लगाने के लिए किसानों को आर्थिक सहायता दी जाएगी.

उन्होंने कहा कि पूर्वाोत्तर के राज्यों को छोड़कर देश के अन्य हिस्सों में 15 हेक्टेयर तक की नर्सरी के लिए 80 लाख रुपए देने की योजना है.

वहीं अगर पूर्वोत्तर भारत के किसान 15 हेक्टेयर में नर्सरी लगाते हैं तो उन्हें 1 करोड़ रुपए की सहायता दी जाएगी.

 

कुल तेल आयात का 56 प्रतिशत पाम ऑयल

उन्होंने कहा कि खाद्य तेल की आवश्यकता की पूर्ति हो और उत्पादन बढ़े.

इसके लिए केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिल कर काम कर रही है और उसके परिणाम भी सामने आ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि रबी सीजन के वक्त हमने अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों को लोगों के बीच वितरित किया, जिससे उत्पादन और रकबे में बढ़ोतरी हुई.

लेकिन अभी भी हमें अपनी आपूर्ति के लिए तेल आयात करना पड़ता है. इसमें बड़ा हिस्सा पाम ऑयल का है.

कुल तेल आयात का 56 प्रतिशत पाम ऑयल है.

 

पाम ऑयल रोपण के लिए सामग्री पर मिलने वाले अनुदान में भी बढ़ोतरी की गई है.

पहले 12 रुपए प्रति हेक्टेयर दिए जाते थे, अब सरकार ने निर्णय लिया है कि इस काम के लिए किसानों को 29 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर दिए जाएंगे.

वहीं पौध की कमी को दूर करने के लिए 15 हेक्टयेर तक की नर्सरी के लिए 80 लाख रुपए और पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक करोड़ रुपए की सहायता राशि देने का निर्णय किया गया है.

 

2029-30 तक देश में 28 लाख टन पाम ऑयल के उत्पादन की उम्मीद

कृषि मंत्री ने कहा कि 3.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हो रही है पाम ऑयल की खेती और आगे चलकर यह 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र हो जाएगी.

वहीं उत्पादन के मामले में बढ़ोतरी होगी. उन्होंने कहा कि 2029-30 तक 28 लाख टन उत्पादन की उम्मीद है.

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आईसीएआर ने बताया था कि 28 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पाम ऑयल की खेती की जा सकती है.

इसमें से एक बड़ा हिस्सा पूर्वोत्तर में है. 9 लाख हेक्टेयर सिर्फ पूर्वोत्तर के राज्यों में है. ये क्षेत्र खेती के लिए ही उपलब्ध हैं.

यहीं वजह है कि पूर्वोत्तर के क्षेत्र में पाम ऑयल की खेती को प्रोत्साहित करने पर सरकार विशेष ध्यान दे रही है.

 

 

छोटे किसान के लिए पाम ऑयल की खेती मुश्किल है क्योंकि फसल लगाने के 5 और पूरी तरह से 7 साल बाद पैदावार मिलती है.

इसके अलावा दाम के उतार चढ़ाव के कारण भी छोटे किसानों के लिए पाम ऑयल की खेती चुनौतीपूर्ण है.

पूर्वोत्तर भारत में लॉजिस्टिक से लेकर तमाम समस्याएं हैं. वहां उत्पादन भी अगर होगा तो इंडस्ट्री नहीं है.

इसी को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने ऑयल पाम मिशन की शुरुआत की और तमाम समस्याओं के समाधान के लिए जरूरी कदम उठाए गए.

 

एमएसपी जैसी सुविधा तैयार की गई है

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भाव को लेकर हमने एमएसपी जैसी सुविधा बनाई है.

इसके अलावा अगर भाव गिर गए तो किसानों को केंद्र सरकार डीबीटी के माध्यम से सीधे पैसे मुहैया कराएगी.

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में उद्योग लगाने के लिए 5 करोड़ रुपए की सहायता दी जाएगी.

 

खाने के तेल की कीमतों के संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कृषि मंत्री ने कहा कि हम लगातार दाम करने की दिशा में कदम उठा रहे हैं.

वहीं एक अन्य सवाल कि आखिर इस मिशन का असर कब तक दिखने लगेगा के जवाब में तोमर ने कहा कि तिलहन की प्रचुरता देश में हो सके, इस दृष्टि से घरेलू उत्पादन के साथ ही आयात से देश की मांग की पूर्ति की जा रही है.

हमारी निर्भरता आयात पर कम होनी चाहिए. इसी दृष्टि से तिलहन की उत्पादन पर काम किया जा रहा है और तिलहन के साथ ही खाद्य तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है.

इसी को ध्यान में रखकर इस मिशन की शुरुआत भी हुई है. मुझे लगता है कि एक पौधे को फल देने में जितना वक्त लगता है, उतना समय में इंतजार करना ही पड़ेगा.

 

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