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मध्य प्रदेश में 15 सितंबर तक ही एमएसपी पर मूंग बेच पाएंगे किसान

 

न्यूनतम समर्थन मूल्य

 

किसानों की मांग को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने मूंग के खरीद कोटे में करवाई है वृद्धि, 2020-21 में 7196 रुपए प्रति क्विंटल है न्यूनतम समर्थन मूल्य.

 

मध्य प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर मूंग की बिक्री करने के लिए अब किसानों के पास सिर्फ 27 दिन का वक्त बचा है.

अगर आपने अब तक अपनी फसल नहीं बेची है तो जल्दी करें. कोई तकनीकी दिक्कत आ रही है तो कृषि और खरीद अधिकारियों से मिलकर उसका समाधान करवाएं.

क्योंकि बिक्री की अंतिम तारीख 15 सितंबर को है. इस बार मध्य प्रदेश सरकार ने 2,47,000 मीट्रिक टन मूंग खरीदने का एलान किया है.

 

एमपी की ई-उपार्जन वेबसाइट पर ग्रीष्म कालीन मूंग और उड़द पंजीयन के आंकड़े दिए गए हैं.

इसके मुताबिक पिछले पांच वर्षों में कुल 118.57 लाख किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए निशुल्क रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं.

जिनमें से 64.35 लाख किसानों से 2415.62 लाख मिट्रिक टन अनाज खरीदा गया. इसके बदले उन्हें 69111 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया.

 

खरीद कोटे में वृद्धि

इस साल मध्य प्रदेश सरकार ने एक लाख 34 हजार मीट्रिक टन ग्रीष्मकालीन मूंग की खरीदी  का एलान किया था.

लेकिन किसान इसे नाकाफी बता रहे थे. किसानों की मांग को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक लाख 13 हजार मीट्रिक टन अतिरिक्त ग्रीष्मकालीन मूंग खरीदने की अनुमति दे दी.

अब प्रदेश में किसानों से 2 लाख 47 हजार मीट्रिक टन मूंग खरीदी जाएगी.

कोटे में वृद्धि से यहां उत्पादित ज्यादातर मूंग की खरीद एमएसपी पर होगी.

 

जानिए कितना है मूंग का एमएसपी

साल 2020-21 में मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7196 रुपए प्रति क्विंटल है. दावा है कि एमपी की मंडियों में इसी दाम पर खरीद हो रही है.

काफी जगहों पर खरीद न होने से किसान परेशान थे, लेकिन अब कोटा में वृद्धि के बाद ऐसी दिक्कत नहीं आएगी.

हालांकि राष्ट्रीय किसान मजबूर महासंघ में मध्य प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष राहुल राज का कहना है कि मूंग की खरीद ठीक से नहीं हुई है.

काफी किसान अपनी फसल नहीं बेच पाए हैं.

 

मूंग में होता क्या है ?

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक मूंग के दाने में 24-25 फीसदी प्रोटीन, 56 परसेंट कार्बोहाइड्रेट व 1.3 फीसदी वसा पाया जाता है.

ग्रीष्म मूंग की खेती चना, मटर, गेहूं, सरसों (Mustard), आलू, जौ, अलसी आदि फसलों की कटाई के बाद खाली हुए खेतों में की जा सकती है.

पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश प्रमुख ग्रीष्म मूंग उत्पादक राज्य हैं.

धान-गेहूं फसल चक्र वाले क्षेत्रों में जायद मूंग की खेती द्वारा मृदा उर्वरता को उच्च स्तर पर बनाए रखा जा सकता है.

 

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