इन राज्यों में होगी समर्थन मूल्य पर मूंग और मूंगफली की खरीद

केंद्र सरकार ने दी स्वीकृति

किसानों को ग्रीष्मकालीन मूंग और मूंगफली का उचित मूल्य मिल सके इसके लिए केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर 54,166 मीट्रिक टन मूंग एवं 50,750 मीट्रिक टन मूंगफली की खरीद को मंजूरी दे दी है।

किसानों के लिए राहत भरी खबर है, केंद्र सरकार ने देश के कुछ राज्यों में ग्रीष्मकालीन मूंग और मूंगफली की खरीद को मंजूरी दे दी है।

भारत सरकार एकीकृत योजना “प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजना” के तहत की जाएगी।

इसमें मूल्य समर्थन योजना (PSS), मूल्य कमी भुगतान योजना (PDPS), बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) और मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF) शामिल है।

सरकार की इस योजना का उद्देश्य किसानों की कृषि उपज के लिए सुनिश्चित और लाभकारी मूल्य सुनिश्चित कराना है।

सरकार के मुताबिक इस योजना को तब लागू किया जाता है जब अधिसूचित दलहन और तिलहन तथा खोपरा के बाजार मूल्य चरम कटाई अवधि के दौरान सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि की MSP के नीचे चली जाती है।

ऐसे में किसानों को इन फसलों का उचित मूल्य मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा इस योजना को लागू किया जाता है।

 

इन राज्यों में की जाएगी मूंग और मूंगफली की खरीद

सरकार ने जायद सीजन यानि की ग्रीष्मकालीन फसल सीजन 2025-26 के लिए हरियाणा, उत्तर प्रदेश और गुजरात राज्यों में मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत कुल 54,166 मीट्रिक टन मूंग की खरीद को मंजूरी दी है।

इसके अलावा सरकार ने उत्तर प्रदेश में 50,750 मीट्रिक टन मूंगफली की खरीद को भी मंजूरी दी गई है।

वहीं आंध्र प्रदेश में खरीद अवधि को 15 दिन बढ़ा दिया गया है। आंध्र प्रदेश में अब MSP पर 26 जून तक खरीद जारी रहेगी।

 

100 प्रतिशत खरीदी जाएगी यह फसलें

वहीं सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित करने और आयात पर देश की निर्भरता को कम करते हुए दालों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए, सरकार ने खरीद वर्ष 2024-25 के लिए संबंधित राज्य के उत्पादन के 100% तक पीएसएस के तहत तुअर (अरहर), उड़द और मसूर की खरीद की अनुमति दी है।

इसके अलावा, केंद्रीय बजट 2025 में, सरकार ने इस पहल को अतिरिक्त चार वर्षों, 2028-29 तक जारी रखने की घोषणा की, जिसमें इन दालों की खरीद राज्य के उत्पादन के 100% तक केंद्रीय नोडल एजेंसियों NAFED और NCCF के माध्यम से की जाएगी, जिसका उद्देश्य दाल उत्पादन में राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है।

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