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कृषि कानूनों के लागू होने के बाद भी MSP में बढ़ोतरी जारी

 

सिर्फ मंडियों से हुई 85000 करोड़ की सरकारी खरीद

 

कृषि कानूनों के लागू होने के बाद से सिर्फ मंडियों से ही 85000 करोड़ रुपए की सरकारी खरीद हुई है.

जबकि किसान संगठनों का आरोप है कि मंडियां बंद हो जाएंगी.

हकीकत यह है कि बिचौलियों के कारण देशभर की अनाज मंडियां पहले से बेहाल हैं.

 

कृषि क्षेत्र में व्यापक सुधार के लिए केंद्र की मोदी सरकार बीते साल 3 नए कृषि कानून लेकर आई थी.

इन्हें संसद से पारित हुए एक साल हो गए. इन कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों ने इस मौके पर भारत बंद का ऐलान किया था.

उनका प्रदर्शन भी इन कानूनों के खिलाफ बीते साल नवंबर से ही चल रहा है.

तीनों नए कानूनों को किसानों के लिए खतरनाक बताने का दावा करने वाले किसान संगठन और विपक्षी दल अभी तक इसके पक्ष में सबूत नहीं पेश कर पाए हैं.

जबकि इसके उलट इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि मंडियों से खरीद बढ़ी है और MSP को खत्म नहीं किया गया है.

 

आंकड़ों के मुताबिक, कृषि कानूनों के लागू होने के बाद से सिर्फ मंडियों से ही 85000 करोड़ रुपए की सरकारी खरीद हुई है.

जबकि किसान संगठनों का आरोप है कि मंडियां बंद हो जाएंगी. हकीकत यह है कि बिचौलियों के कारण देशभर की अनाज मंडियां पहले से बेहाल हैं.

फिर भी सरकार बार बार कह रही है कि मंडिया बंद नहीं की जाएंगी, बल्कि इन्हें मजबूत किया जाएगा.

इसके अलावा छोटे किसानों को भी आर्थिक रूप से मजबूत किया जाएगा.

 

MSP में बढ़ोतरी जारी

अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य की बात करें तो हाल ही में केंद्र सरकार ने रबी सीजन के फसलों की बढ़ी हुई MSP जारी की थी.

इससे कुछ महीने पहले खरीफ सीजन के फसलों का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी किया गया था.

बीते सप्ताह ही उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गन्ने का फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (FRP) बढ़ाया था.

 

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, गेहूं के MSP में पिछले साल के मुकाबले 40 रुपए की वृद्धि हुई है.

धान के MSP में 72 रुपए, चना की MSP में 130 रुपए, जौ की MSP में 35 रुपए, मसूर दाल और सरसों की MSP में 400 रुपए, सूर्यमुखी की MSP में 114 रुपए की बढ़ोतरी की गई है.

इसके अलावा तिल, कपास, दूसरे दलहन और गन्ना के MSP भी बढ़ाए गए हैं.

 

सरकार अभी भी बातचीत और सुझाव पर विचार के लिए तैयार

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि सरकारी दरों यानी MSP पर रबी और खरीफ फसलों की रिकॉर्ड खरीद भी हुई है.

दिलचस्प बात यह है कि कुल चावल खरीद का 75 प्रतिशत से अधिक पंजाब और हरियाणा से ही हुआ है.

जबिक इन दो राज्यों के किसानों ने कृषि कानूनों का सबसे अधिक विरोध किया है.

 

इन सब के बीच केंद्र सरकार ने किसानों की समस्याओं को सुनने के लिए आंदोलनरत किसान संगठनों से 11 राउंड की बातचीत भी की है.

अभी भी सरकार का कहना है कि हम किसी भी वक्त किसान संगठनों के सुझावों पर विचार करने के लिए तैयार हैं.

 

इसके अलावा प्रधानमंत्री ने खुद कई बार इन कृषि कानूनों को किसानों की जरूरत बताया और किसानों के विरोध के समाधान के लिए कृषि कानूनों को 18 महीने के लिए निलंबित करने की पेशकश की.

26 जनवरी की हिंसा के बाद भी सरकार आंदोलनकारी किसानों के लिए खुले मन से विचार करती रही.

सरकार आज भी किसानों से बातचीत के लिए तैयार दिख रही है.

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