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एक सप्ताह में 40 रुपए घटे सरसों दाना के भाव

 

बढ़ने वाली है मांग लेकिन किसानों के अलावा किसी के पास नहीं है स्टॉक

 

कुछेक बड़े किसानों के पास थोड़ा बहुत (लगभग 18-20 लाख टन) स्टॉक को छोड़कर किसी के पास कोई स्टॉक नहीं रह गया है जबकि त्योहारों का मौसम नजदीक है और सरसों की अगली परिपक्व फसल मार्च के पहले हफ्ते में आने की उम्मीद है.

 

पिछले सप्ताह के मुकाबले इस सप्ताह में सरसों दाना (तिलहन) और सरसों दादरी के भाव में क्रमश: 40-40 रुपए की गिरावट आई है.

विगत सप्ताह में देश की मंडियों में सरसों की आवक लगभग 2.35 लाख बोरी की थी जो समीक्षाधीन सप्ताह में घटकर लगभग एक लाख बोरी रह गई है.

 

आने वाले दिनों में यह आवक काफी कम हो जाएगी क्योंकि कुछेक बड़े किसानों के पास थोड़ा बहुत (लगभग 18-20 लाख टन) स्टॉक को छोड़कर किसी के पास कोई स्टॉक नहीं रह गया है जबकि त्योहारों का मौसम नजदीक है और सरसों की अगली परिपक्व फसल मार्च के पहले हफ्ते में आने की उम्मीद है.

वैसे सरसों की आवक फरवरी के उत्तररार्द्ध में शुरू हो जाएगी पर उससे प्राप्त होने वाले तेल में हरापन होता है.

परिपक्व सरसों मार्च के पहले सप्ताह तक आएगा.

 

संस्थाओं के पास नहीं है सरसों का स्टॉक

महंगा होने के कारण सरसों की मांग पहले के मुकाबले 10-12 प्रतिशत कम हुई है.

लेकिन जितनी भी मांग है, उसके मुकाबले आपूर्ति बहुत ही कम है.

पिछले साल मंडियों में लगभग 1.5 लाख बोरी की मंडियों में आवक थी और सहकारी संस्थाएं- हाफेड, नेफेड और राज्य सरकार की एजेंसियां रोजाना 2-2.25 लाख बोरी बेच रही थीं क्योंकि उन्होंने पहले से सरसों खरीद रखा था.

 

इस बार तो इन संस्थाओं के पास भी कोई स्टॉक नहीं है.

इस परिस्थिति के मद्देनजर कुछ सरसों विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को गेहूं की ही तरह सरसों का भी लगभग 10 लाख टन का स्थायी स्टॉक रखना चाहिए जो समय पर हमारे काम आ सकता है.

उन्होंने कहा कि ऐसा करना इसलिए बेहतर है क्योंकि सरसों 10-12 साल खराब नहीं होता.

उन्होंने कहा कि आगामी सर्दियों के मौसम में सरसों की मांग और बढ़ेगी और इस तेल का और कोई विकल्प भी नहीं है जिसका सोयाबीन की तरह आयात किया जा सके.

 

नई फसल की आवक से टूटे भाव

अगर अन्य तेल और तिलहनों की बात करें तो मंडियों में नई फसलों की आवक बढ़ने के बीच बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सरसों, मूंगफली (तेल तिलहन), बिनौला और सोयाबीन (तिलहन) के भाव में गिरावट का रुख रहा.

जबकि विदेशों में भाव मजबूत होने से सोयाबीन और पामोलीन तेल के भाव में मजबूती दिखी.

 

मंडियों में मूंगफली की नई फसल की आवक शुरू होने वाली है जबकि बिनौला की आवक शुरू हो चुकी है.

नई फसल आने के समय सामान्य तौर पर हाजिर भाव टूटते हैं और इसी वजह से समीक्षाधीन सप्ताह में इन दो तेलों के भाव नरमी के रुख के साथ बंद हुए.

किसानों को मूंगफली का अपना पुराना माल भी बेचते देखा गया.

 

सोयाबीन के मामले में बाजार पर असर सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) का अधिक होता है जो बाजार का रुख तय करते हैं.

डीओसी के आयात की छूट के बाद स्थानीय उत्पादन को खपाने की चिंता पैदा हुई है.

इसी कारण से सोयाबीन दाना और सोयाबीन लूज के भाव समीक्षाधीन सप्ताह में हानि दर्शाते बंद हुए.

 

पामोलिन का आयात पड़ रहा महंगा

अंतरराष्ट्रीय बाजार में सीपीओ और सोयाबीन के दाम बढ़ा दिए जाने से सोयाबीन तेल के भाव मजबूत हो गए.

सोयाबीन का दाम पहले के 1,350 डॉलर के मुकाबले बढ़ाकर 1,385 डॉलर प्रति टन कर दिया गया जबकि सीपीओ का दाम पहले के 1,220 डॉलर से बढ़ाकर 1,260 डॉलर प्रति टन कर दिया गया.

इस वृद्धि की वजह से समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दिल्ली और सोयाबीन इंदौर तेल की कीमतों में सुधार आया.

 

पहले पामोलीन का आयात सस्ता पड़ता था और अब यह महंगा पड़ने लगा है. यही वजह है कि पामोलीन तेल के दाम मजबूत हुए हैं.

सूत्रों ने कहा कि सरसों के मामले में देखें, तो वायदा कारोबार में पिछले सप्ताह के मुकाबले इसके भाव 200-250 रुपए प्रति क्विंटल घटे हैं.

उन्होंने कहा कि लेकिन इस भाव के टूटने का अधिक असर हाजिर भाव पर नहीं आया.

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