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9350 रुपये प्रति क्विंटल हुआ सरसों का भाव

 

फिर भी किसान बेचने नहीं पहुंच रहे बाजार, बढ़ सकती है किल्लत

 

हाल की बेमौसम बरसात ने किसानों को तबाही के कगार पर ला दिया है.

हालत यह है कि जिन किसानों ने बुवाई कर रखी थी उन्हें दोबारा से इसकी बुवाई करनी होगी.

 

विदेशी बाजारों में कमजोर रुख के बीच दिल्ली में गुरुवार को सोयाबीन तेल तिलहन, पामोलीन और सीपीओ तेल कीमतों में गिरावट दर्ज की गई.

वहीं, जयपुर में सरसों के भाव 150 रुपये मजबूत होने से सरसों तेल-तिलहन में सुधार आया, मूंगफली और बिनौला सहित विभिन्न खाद्य तेल-तिलहन के भाव पहले के स्तर पर बने रहे.

बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में दो प्रतिशत की गिरावट है, जबकि बुधवार रात 3.5 प्रतिशत की तेजी दर्ज करने के बाद शिकागो एक्सचेंज में फिलहाल 1.4 प्रतिशत की गिरावट है.

लेकिन दूसरी तरफ जयपुर के हाजिर बाजार में सरसों सरसों का भाव लगभग 150 रुपये मजबूत हो गया.

 

बाजार सूत्रों ने कहा कि सरसों की किल्लत बनी हुई है, जो आगे जाकर दीपावाली के बाद और बढ़ेगी.

दूसरी ओर मंडियों में सरसों की आवक निरंतर कम हो रही है और आगे चलकर यह आवक घटकर 50-60 हजार बोरी रह जाने की उम्मीद है जबकि रोजाना की औसत मांग 3-3.5 लाख बोरी की है.

व्यापारियों और मिलर्स के पास इसका कोई स्टॉक नहीं है और थोड़ा बहुत स्टॉक किसानों के पास ही रह गया है.

 

बेमौसम बरसात ने किया तबाह

उन्होंने कहा कि इसके अलावा हाल की बेमौसम बरसात ने किसानों को तबाही के कगार पर ला दिया है.

हालत यह है कि जिन किसानों ने बुवाई कर रखी थी उन्हें दोबारा से इसकी बुवाई करनी होगी, जिससे अगली फसल आने में एक महीने की और देर होने की संभावना बढ़ गई है.

इस बीच सलोनी शम्साबाद में सरसों के दाम 9,350 रुपये क्विन्टल पर पूर्ववत रखा गया है.

 

क्या है सरसों तेल का गणित

सूत्रों ने कहा कि सलोनी में सरसों दाना की खरीद लागत अधिभार सहित 93.50 रुपये किलो के लगभग बैठती है.

इसके पेराई की लागत 2.5 रुपये किलो बैठती है. एक क्विन्टल सरसों में 62 किलो खली के अलावा लगभग 36.5 किलो तेल निकलता है.

इसके लगभग 2,000 रुपये क्विन्टल के खली का भाव हटा दिया जाए, तो प्रति किलो सरसों तेल की लागत 192-193 रुपये किलो बैठती है और उसके ऊपर जीएसटी शुल्क अलग से है.

कुल मिलाकर सरसों तेल की उत्पादन लागत 202 से 203 रुपये किलो बैठता है.

 

सूत्रों ने कहा कि आत्मनिर्भर होने के लिए शुल्क कम ज्यादा करने के बजाय तिलहन उत्पादन बढ़ाना ही एकमात्र विकल्प हो सकता है.

उन्होंने कहा कि सरकार को शुल्क कम-ज्यादा करने के बजाय अगर गरीब जनता को सही में राहत ही देनी है, तो उन्हें तेल आयात कर सीधे राश दुकानों के माध्यम से उपलब्ध कराना चाहिए, क्योंकि आयात शुल्क में जितनी कटौती की गई होती है, खुदरा कारोबार में भाव पहले की तरह बनाये रखे जाते हैं और कोई विशेष लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिलता.

 

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन – 8,920 – 8,950 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये.

सरसों तेल दादरी- 18,100 रुपये प्रति क्विंटल.

सरसों पक्की घानी- 2,720 -2,760 रुपये प्रति टिन.

सरसों कच्ची घानी- 2,795 – 2,905 रुपये प्रति टिन.

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