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तालाब से बिजली उत्पादन करता है कर्नाटक का उन्नत किसान

 

पिता बनाना चाहते थे इंजीनियर

 

उनके परिवार के सदस्यों का कहना है कि सुरेश के पिता उन्हें कहते थे कि वह एक इंजीनियर बनेंगे क्योंकि उनका जन्म उसी दिन हुआ था जिस दिन सर एम विश्वेश्वरैया का जन्म हुआ था.

 

भारत के किसानों में एक खास बात होती है, वे विपरीत परिस्थियों में अपने लिए कुछ ना कुछ जुगाड़ कर लेते हैं ताकि उन्हें कृषि कार्य में आसानी हो और उनका उत्पादन बढ़ सके.

ऐसे ही एक किसान है कर्नाटक के सुरेश बालनाड. 61 वर्षीय सुरेश वालनाड कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के रहने वाले हैं.

वैसे तो उनके पिता चाहते थे कि सुरेश बड़ा होकर इंजीनियर बनें पर सुरेश के मन में प्रगतिशील किसान बनने का सपना पल रहा था.

इसलिए  प्री-यूनिवर्सिटी कोर्स पूरा करने के बाद, उन्होंने एक किसान बनने का विकल्प चुना.

इंजीनियरिंग नहीं की पर तालाब से अपने घर और कृषि के उपयोग के लिए बिजली पैदा करने के अपने स्थायी समाधान के लिए कई लोगों का ध्यान आकर्षित किया है.

 

पिछले 16 वर्षों से बिजली उत्पादन कर रहे सुरेश

पुत्तूर तालुक के बलनाड गांव के बयार निवासी सुरेश बालनाड बिजली पैदा करने के लिए 60 फीट से ऊपर के तालाब के पानी का उपयोग करते हैं.

उन्होंने बिजली पैदा करने के लिए एक पाइप के साथ एक एयर टरबाइन लगाया है. 

अपने इस अविष्कार की मदद से सुरेश पिछले 16 वर्षों से दो किलोवाट बिजली का उत्पादन कर रहे हैं.

जहां पर वो बिजली उत्पादन करते हैं वहां पर नहर के माध्यम से पानी बहता रहता है.

 

बिजली कटौती और अधिक बिजली बिल से थे परेशान

उन्होंने TNSE को बताया कि उन्होंने अपने खेत में बिजली पैदा करने का फैसला किया क्योंकि वह लगातार बिजली कटौती और अत्यधिक बिजली बिलों से तंग आ चुके थे.

उन्होंने बताया कि वो  बिजली के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहते थे. इसके बाद उन्होंने कहा कि वो जो बिजली उत्पादन कर रहे हैं वह केवल घरेलू उपयोग के लिए है और अधिक बारिश होने पर हम जनवरी तक इसका उपयोग कर सकते हैं.

उन्होंने बताया कि बचपन से ही उनके मन में यह इच्छा थी कि वो सभी प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करें.

 

एक ही तारीख को हुआ था सर एम विश्वेश्वरैया और सुरेश का जन्म

उनके परिवार के सदस्यों का कहना है कि सुरेश के पिता उन्हें कहते थे कि वह एक इंजीनियर बनेंगे क्योंकि उनका जन्म उसी दिन हुआ था जिस दिन सर एम विश्वेश्वरैया का जन्म हुआ था. 

परिवार के सदस्य कहते हैं, “हम हर महीने बिजली बिल के रूप में 1,400 रुपये का भुगतान करते थे, लेकिन अब हम कर्नाटक बिजली बोर्ड (केईबी) को केवल न्यूनतम शुल्क का भुगतान करते हैं.”

 

सुरेश के खेत में जाकर सीखते हैं स्कूली बच्चे

इसके बारे में अधिक जानने के लिए कई लोग उनके बिजली उत्पादन संयंत्र का दौरा कर रहे हैं. सुरेश स्कूली बच्चों को बिजली उत्पादन के बारे में शिक्षित करने के लिए भी आमंत्रित कर रहे हैं.

एक सरकारी स्कूल के शिक्षण ने  कहा कि पहले हम अपने बच्चों को पनबिजली परियोजना दिखाने के लिए  शिवमोग्गा के जोग फॉल्स में हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट में ले जाते थे.

अब, हम अपने छात्रों को सुरेश के खेत में ले जा रहे हैं, हालांकि फिलहाल कोविद -19 के कारण, उन्होंने लोगों के खेत में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है.

सुरेश ने बिजली पैदा करने के अलावा पूरी तरह से वर्षा जल संचयन के आधार पर भूजल स्तर को बढ़ाने के प्रयास भी किए हैं.

वह काली मिर्च, नारियल, सुपारी, सब्जियां उगाते है और उनके खेत में बोरवेल नहीं है.

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