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साल भर के अंदर शुरू हो नैनो डीएपी का उत्पादन

 

उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने दिए निर्देश

 

इफको के फील्ड ट्रायल में यह बात स्पष्ट तौर पर उभरकर सामने आई है कि जिन फसलों पर इसका प्रयोग हुआ है, उनकी जड़ों का बेहतर विकास हुआ है.

ये ट्रायल तकरीबन दो दर्जन फसलों पर किए जा रहे हैं.

 

नैनो यूरिया की सफलता से उत्साहित होकर मोदी सरकार अब नैनो डीएपी लाने पर बहुत तेज गति से काम कर रही है.

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने इस संदर्भ में नई दिल्ली में एक उच्च स्तरीय बैठक की.

सूत्रों की मानें तो साढ़े तीन घंटे चली इस विस्तृत बैठक में उन्होंने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इफको और अन्य उर्वरक कंपनियों को यह निर्देश दिया कि साल भर के अंदर नैनो डीएपी का उत्पादन शुरू करने के लक्ष्य के साथ काम करना है.

 

बैठक में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर इस बैठक के बारे में विस्तार से बताया, ‘पहले तो कैबिनेट मंत्री मनसुख मांडविया ने इस बात पर पूरी टीम को बधाई दी कि नैनो यूरिया के उत्पादन, आपूर्ति और इसे अपनाए जाने के मामले में हम सफल रहे हैं.

इसके बाद उन्होंने नैनो डीएपी के मामले में अब तक हुई प्रगति की समीक्षा की.

उनके सामने इफको के वरिष्ठ अधिकारियों ने पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन दिया और यह बताया कि नैनो डीएपी का फील्ड ट्रायल तकरीबन 2,000 खेतों में कहां-कहां चल रहा है.

इसमें यह बात भी निकलकर सामने आई कि नैनो डीएपी के ट्रायल के परिणाम उत्साहजनक हैं.’

 

शोध के दौरान अच्छे परिणाम

मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, ‘इफको के फील्ड ट्रायल में यह बात स्पष्ट तौर पर उभरकर सामने आई है कि जिन फसलों पर इसका प्रयोग हुआ है, उनकी जड़ों का बेहतर विकास हुआ है.

ये ट्रायल तकरीबन दो दर्जन फसलों पर किए जा रहे हैं.

दरअसल, इसके पहले नैनो डीएपी को लेकर जो बैठक कैबिनेट मंत्री ने ली थी, उसमें उन्होंने इफको के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि फील्ड ट्रायल बढ़ाना है और अगली बैठक में उनके सामने हर राज्य में अलग-अलग फसलों पर हो रहे फील्ड ट्रायल का लेखा-जोखा रखा जाना चाहिए.

मंत्रालय के सूत्र बता रहे हैं कि नैनो डीएपी को लेकर सरकार के इस उत्साह की असली वजह यह है कि नैनो यूरिया को लेकर सरकार ने जो काम किया, वह पूरी तरह से सफल रहा.

नैनो यूरिया का वाणिज्यिक उत्पादन करने के मामले में भारत पहला देश बना.

 

सरकार आत्म निर्भर बनाने की कोशिश में जुटे

बैठक में शामिल एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं, ‘मनसुख मांडविया ने न सिर्फ मंत्रालय के अधिकारियों को बल्कि इफको और दूसरी सरकारी उर्वरक कंपनियों के अधिकारियों को यह स्पष्ट कर दिया कि अगर हमें डीएपी के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाना है तो हमें नैनो डीएपी को लेकर समयबद्ध तरीके से काम करना होगा.’

उन्होंने ये भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं और इसमें उर्वरकों के मामले में आत्मनिर्भरता भी शामिल है.

 

तीन से चार साल का समय अधिकारियों को दिया गया है

मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, ‘मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि हमें सभी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए नैनो डीएपी को जल्दी मंजूरी दिलाने की दिशा में काम करना चाहिए, उन्होंने यह भी निर्देश दिया है कि साल भर के अंदर नैनो डीएपी का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य रखना चाहिए और अगले 3-4 सालों में भारत को डीएपी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की योजना पर काम करना चाहिए.’

 

देश की आर्थिक तरक्की

नैनो डीएपी के उत्पादन को लेकर सरकार की इन कोशिशों को डीएपी के वैश्विक बाजार की स्थितियों से भी जोड़कर देखा जा रहा है.

डीएपी के वैश्विक बाजार में कुछ देशों का दबदबा है और अगर भारत नैनो डीएपी विकसित करता है तो इससे आयात पर भारत की निर्भरता घटेगी.

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