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मीठे बांस की नई किस्म तैयार, किसानों को होगा बंपर मुनाफा

जानें, मीठे बांस की खेती से किसानों को कितना हो सकता है लाभ

किसान बांस की खेती से काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं। बांस को एक बार लगाने के बाद इससे कई सालों तक कमाई की जा सकती है।

खास बात यह है कि बांस में जल्दी कोई रोग या कीट नहीं लगता है। इसे हरे सोने के नाम से भी जाना जाता है।

बांस की 136 प्रजातियां है लेकिन इनमें से चुनी हुई खास प्रजातियों की खेती ही किसानों द्वारा की जाती है।

बांस से कई तरह की जरूरी चीजें बनाई जाती है जैसे- बांस की टोकरी, बांस से चटाई, अगरबत्ती, बांस के फर्नीचर।

इसके अलावा बांस बहुत से कामों को आसान करता है। बांस की प्रजातियों में अब मीठे बांस की प्रजाति भी शामिल हो गई है।

शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में मीठे बांस की एक विशेष प्रजाति तैयार की है। 

 

कहां तैयार किए जा रहे हैं बांस के पौधे

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक यह शोध बिहार के जिला भागलपुर बिहार में टीएनबी कॉलेज में स्थित प्लांट टिश्यूम कल्चर लैब (पीटीसीएल) में किया गया है।

यहां मीठे बांस के पौधे तैयार बड़े स्तर पर तैयार किए जा रहे हैं। किसान बांस की खेती को अपनाकर अपनी आमदनी दुगुनी कर सकते हैं।

बता दें कि बांस से फर्नीचर बनाने के अलावा बांस का आचार भी बनाया जाता है। ऐसे में मीठे बांस की खेती किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है।

 

सभी मौसम और हर मिट्टी में हो सकती हैं मीठे बांस की खेती

बताया जा रहा है कि बांस की इस प्रजाति की खेती किसी भी मौसम और सभी प्रकार की मिट्‌टी में की जा सकती है।

परीक्षण के दौरान एनटीपीसी से निकले राख के ढेर में भी इसके पौधे उगाने में शोधकर्ताओं को सफलता मिली है।

दवाई और खाद्य उत्पादों को बनाने में भी बांस का उपयोग किया जा सकेगा। चीन, ताईवान, सिंगापुर, फिलीपींस आदि देशों में तो इससे अचार, चिप्स आदि खाने की वस्तुएं बनाकर बाजार में बेची जाती है।

भारत में भी बांस की खेती (Bamboo Farming)को व्यावसायिक रूप से किया जाने लगा है।

अब मीठे बांस की प्रजाति उगाने में भी सफलता पा ली है। ऐसे में किसान इसकी खेती से काफी लाभ कमा सकते हैं।

 

मीठे बांस से तैयार किया जाएगा इथेनॉल

मीठे बांस से इथेनॉल बनाने के काम शुरू करने को लेकर शोध चल रहा है। यदि शोध पूरी तरह से कामयाब होता है तो भारत में इथेनॉल के उत्पादन में मीठे बांस का प्रयोग होना शुरू हो जाएगा।

इससे किसानों की आय में इजाफा होगा। बांस के पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को अच्छी तरह से अवशोषित कर कार्बनिक पदार्थ का निर्माण करते हैं। ये पदार्थ मिट्‌टी में मिलकर उसे उपजाऊ बनाते हैं।

बांस के उपयोग से इथेनॉल, बायो सीएनजी और बायोगैस उत्पादन को लेकर वैज्ञानिक शोध कार्य में लगे हुए हैं और इसका कार्य प्रगति पर चल रहा है।

उम्मीद है इसमें जल्द ही सफलता प्राप्त हो जाएगी और भारत में भी इथेनॉल, सीएनजी व बायोगैस उत्पादन में इसका प्रयोग हो सकेगा।

 

बांस की खेती पर किसानों को कितनी मिलती है सब्सिडी

केंद्र सरकार की से राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत किसानों को बांस की खेती पर सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है।

बांस की खेती के लिए किसानों को सरकार की ओर से प्रति पौधा 120 रुपए की सब्सिडी दी जाती है।

योजना के तहत तीन साल में बांस के एक पौधे की लागत 240 रुपए निर्धारित की गई है।

इस पर सरकार की ओर से 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है यानी 120 रुपए किसान को प्रति पौधा सब्सिडी दी जाती है।

किसान बांस को अपने खेत की मेढ़ पर लगाकर इससे काफी अच्छी इनकम प्राप्त कर सकता है।

 

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