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पर्माकल्चर तकनीक से खेती कर रही है लाखों में कमाई

 

छोड़ी बड़ी कंपनी की नौकरी

 

मनीषा को खेती के पेशे में आए 10 साल हुए हैं. कॉरपोरेट सेक्टर में बड़े पद पर नौकरी करने के साथ ही उन्होंने इस काम को शुरू किया था.

कृषि के क्षेत्र में असिमित संभावनाएं हैं. किसान अपनी जरूरतों के हिसाब से प्रयोग करने में कभी पीछे नहीं रहते.

बीते कुछ वर्षों से चंडीगढ़ में खेती करने वाली मनीषा लट्ठ गुप्ता ने ऐसे ही प्रयोग से आज एक सफल किसान बन चुकी हैं.

10 एकड़ में फैले उनके खेत को देखने के लिए लोग आते हैं और उनकी तकनीक पर खेती करने के तौर-तरीके भी सीखते हैं.

उन्होंने अपने फार्म का एक यूट्यूब चैनल भी बना रखा है, जिसके माध्यम से वे किसानों के लिए जरूरी जानकारियां और विधि शेयर करती रहती हैं.

 

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मनीषा को खेती के पेशे में आए 10 साल हुए हैं. कॉरपोरेट सेक्टर में बड़े पद पर नौकरी करने के साथ ही उन्होंने इस काम को शुरू किया था.

2011 में चंडीगढ़ से 30 किलोमीटर दूर हिमालय की शिवालिक रेंज में 10 एकड़ जमीन में उन्होंने पर्माकल्चर तकनीक से खेती करनी शुरू की. आज वे इससे काफी अच्छी कमाई कर रही हैं और खुश हैं.

 

पर्माकल्चर दरअसल पर्मानेंट एग्रीकल्चर का एक तरीका है. इसमें कम लगात से साल दर साल अच्छी कमाई होती है.

इस तकनीक से खेती करने पर एक इको सिस्टम बन जाता है, जिसमें फल, अनाज, सब्जी, दाल, मवेशी और पक्षी होते हैं. ये एक दूसरे पर निर्भर होते हैं.

सबसे अच्छी बात है कि इसमें रासायनिक खाद या कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया जाता है.

 

120 किस्म की फसलें और पौधे हैं फार्म में

आनंदा पर्माकल्चर फार्म की संस्थापक मनीषा लट्ठ गुप्ता कहती हैं कि हम जल प्रबंधन और सॉयल रेस्टोरेशन पर काफी ध्यान देते हैं.

इससे फार्म की उत्पादकता काफी बढ़ जाती है. डीडब्ल्यू हिंदी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मनीषा के फार्म में आज अनाज, फल, सब्जी, कपास और दाल समेत कुल 120 किस्म की फसलें और पौधे हैं.

 

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वे कहती हैं, ‘पर्माकल्चर में पानी के प्रबंधन और मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने पर खास तौर पर जोर दिया जाता है. इसमें पेड़, पौधे, जड़े, झाड़ियां, जीव-जंतु मिलकर एक इको सिस्टम बनाते हैं. सब एक दूसरे पर निर्भर होते हैं.’

मनीषा कहती हैं कि पर्माकल्चल के लिए जरूरी नहीं कि आपके पास बहुत जमीन हो. यह छत से लेकर बंजर जमीन तक में किया जा सकता है.

बस इसका डिजाइन समझने की जरूरत है.

 

मनीषा कहती हैं कि आपको अपने जमीन और वहां की फसलों के बारे में जानकारी होनी चाहिए.

इसके साथ ही आपको यह पता होना चाहिए कि मिट्टी की गुणवत्ता कैसी है और पानी का बहाव किस तरह से होता है.

अगर इन बातों को समझते हैं तो आप भी इस तरह से खेती कर सकते हैं.

 

हर साल स्टोर होता है 4 करोड़ लीटर पानी

अपना उदाहरण देते हुए बताती हैं, ‘मेरे फार्म में पहाड़ों से काफी तेज बहाव में पानी आता था, लगता था कि बाढ़ है. लेकिन हमने इसका प्रबंधन किया.

दो तालाब बनवाए और पानी रुक कर जाए इसके लिए अन्य कार्य किए गए.

अब हम एक मॉनसून सीजन में 40 मिलियन (4 करोड़) लीटर पानी स्टोर करते हैं और अपने खेतों के लिए अलग से पानी की जरूरत नहीं पड़ती.’

 

उन्होंने कहा कि पर्माकल्चर में पेड़, पौधे, फसल से लेकर सबकुछ होता है. आप इसे बाग भी कह सकते हैं. इसकी सबसे अच्छी बात है कि अगर एक सीजन पानी न हो तो आपको किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी.

 

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