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फसलों में होने वाले रोगों का स्थाई इलाज, लागत में भी आएगी कमी

स्वस्थ और उत्पादक फसल को बनाए रखने के लिए फसलों में पोषक तत्वों की कमी की पहचान करना आवश्यक है.

सामान्य लक्षणों को पहचानकर और मिट्टी परीक्षण के द्वारा आप यह पता लगा सकते हैं.

 

रोगों का स्थाई इलाज

पौधों में हम पोषक तत्वों की कमी को तो पता कर लेते हैं और उससे सम्बंधित कमियों को भी पूरा कर देते हैं लेकिन यह कमियां जब हर बार की उत्पादित फसलों में आने लगें तो आपको सावधान हो जाना चाहिए.

और उनके उपचार को जड़ से ख़त्म करने का उपाय करना चाहिए.

तो आइये आज हम आपको बताते हैं कि अगर पौधों में रोग बार-बार हो रहा हैं तो उनका उपचार करने का क्या तरीका है.

 

मृदा परीक्षण कराना है जरुरी

अपनी मिट्टी में पोषक तत्वों के बारे में पूरी जानकारी को हासिल करें.

उसे लेकर प्रयोगशाला में भेजे और पूरी जानकारी के बाद ही भूमि के किसी तरह के पोषक तत्वों की पूर्ति के संसाधनों का उपयोग करें.

 

पत्तियों के नमूने लेकर जांच को भेंजे

कुछ पौधों में किसी विशेष वायरस या रोग के कारण बार बार किसी कमी को प्रदर्शित करता है.

इतना ही नहीं अगर कोई वायरस का रोग किसी पौधे में है तो आपको उसकी पत्तियों के नमूने को प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए ले जाना चाहिए.

 

मृदा के Ph परीक्षण की करवाएं जांच

मिट्टी का पीएच पोषक तत्वों की उपलब्धता को प्रभावित करता है. यदि पीएच बहुत अधिक या बहुत कम है,

तो यह पोषक तत्वों के अवशोषण को प्रभावित करता है.

इसलिए यह बहुत जरुरी है कि खेती से पूर्व आपको मृदा के ph मान की जांच करवा लेनी चाहिए.

 

वृद्धि और विकास पैटर्न

पौधे के विकास चरणों और पैटर्न को समझने से पोषक तत्वों की समस्याओं का ख़त्म करने में मदद मिल सकती है.

शुरूआती वृद्धि के समय कुछ पोषक तत्वों की अधिक आवश्यकता होती है.

इसलिए आपको यह समझाना भी आवश्यक है कि आप किस समय पौधे में उर्वरक या अन्य संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं.

स्वस्थ और उत्पादक फसल को बनाए रखने के लिए फसलों में पोषक तत्वों की कमी की पहचान करना आवश्यक है.

सामान्य लक्षणों को पहचानकर और मिट्टी परीक्षण के द्वारा आप यह पता लगा सकते हैं कि किस तत्व की कमी है और उसके बाद आप किसी भी तरह की उपचारात्मक जानकारी को प्राप्त कर सकते हैं.

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