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पीएम मोदी ने किसानों से की जीरो बजट फार्मिंग अपनाने की अपील

 

जीरो बजट फार्मिंग

 

पीएम मोदी ने कहा कि 16 दिसंबर को सरकार प्राकृतिक खेती पर एक बहुत बड़ा आयोजन करने जा रही है.

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती या जीरो बजट फार्मिंग से हमारी धरती मां भी बचती हैं.

पानी भी बचता है और उत्पादन भी पहले से ज्यादा होता है.

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में थे. यहां पर उन्होंने सरयू नहर नेशनल प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया.

इस प्रोजेक्ट से 30 लाख किसानों को फायदा होगा और राज्य के 9 जिलों में सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था हो जाएगी.

इस मौके पर अपने संबोधन में पीएम मोदी ने किसानों के लिए शुरू की गई तमाम योजनाओं का जिक्र किया और कहा कि देश के किसान दिनरात मेहनत कर हर क्षेत्र में उत्पादन बढ़ा रहे हैं.

 

जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 16 दिसंबर को सरकार प्राकृतिक खेती पर एक बहुत बड़ा आयोजन करने जा रही है.

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती या जीरो बजट फार्मिंग से हमारी धरती मां भी बचती हैं.पानी भी बचता है और उत्पादन भी पहले से ज्यादा होता है.

उन्होंने किसानों से अपील की कि वे प्राकृतिक खेती पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम से जुड़े और मुझे पूरा यकीन है कि उसे देखने के बाद वे अपने खेत में इसे करने के लिए प्रोत्साहित होंगे.

 

क्या है जीरो बजट फार्मिंग

जीरो बजट प्राकृतिक खेती करने का एक तरीका है जिसमें बिना किसी लागत के खेती की जाती है. कुल मिलाकर कहें तो यह पूरी तरह से प्राकृतिक खेती है.

जीरो बजट प्राकृतिक खेती बाहर से किसी भी उत्पाद का कृषि में निवेश को खारिज करता है.

जीरो बजट प्राकृतिक खेती में देशी गाय के गोबर एवं गौमूत्र का उपयोग करते हैं.

इस विधि से 30 एकड़ जमीन पर खेती के लिए मात्र 1 देशी गाय के गोबर और गोमूत्र की आवश्यकता होती है.

 

देसी प्रजाति के गोवंश की होगी सुरक्षा

जीरो बजट फार्मिंग में गौपालन का भी विशेष महत्व है. क्योंकि देशी प्रजाति के गौवंश के गोबर तथा गोमूत्र से जीवामृत, घन जीवामृत, जामन बीजामृत बनाया जाता है.

इनका खेत में उपयोग करने से मिट्टी में पोषक तत्वों की वृद्धि के साथ-साथ जैविक ‘गतिविधियों का विस्तार होता है.

जीवामृत का उपयोग सिंचाई के साथ या एक से दो बार खेत में छिड़काव किया जा सकता है.

जबकि बीजामृत का इस्तेमाल बीजों को उपचारित करने में किया जाता है.

 

देसी बीज का होता है इस्तेमाल

जीरो बजट प्राकृतिक खेती में हाइब्रिड बीज का उपयोग नहीं किया जाता है. इसके स्थान पर पारस्परिक देशी उन्नतशील प्रजातियों का प्रयोग किया जाता है.

इस विधि से खेती करने से किसान को बाजार से खाद एवं उर्वरक, कीटनाशक तथा बीज खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है.

जिससे उत्पादन की लागत शून्य रहती है. एकल कृषि पद्धति को छोड़कर बहुफसली की खेती करते हैं.

यानि एक बार में एक फसल न उगाकर उसके साथ कई फसल उगाते हैं.

जीरो बजट प्राकृतिक खेती को करने के लिये 4 तकनीकों का प्रयोग खेती करने के दौरान किया जाता है.

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