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ड्रैगन फ्रूट से बना रहे उत्पाद, किसानों की बढ़ी आय

 

किसानों की बढ़ी आय

 

किसान अब परंपरागत खेती के स्थान पर फल, सब्जी की फसल करने में अधिक रुचि दिखाने लगे हैं।

 

उद्यानिकी के क्षेत्र में किसान तेजी से उत्पादन बढ़ा रहे हैं। जिसका लाभ भी किसानो को मिल रहा है। उद्यानिकी का रकबा साल दर साल बढ़ रहा है।

परंपरागत खेती के स्थान पर अब किसान फल, सब्जी की फसल करने में अधिक रुचि दिखाने लगे हैं।

सबसे अधिक इस वक्त जिले में ड्रैगन फ्रूट के उत्पादन में किसान रुचि दिखा रहे हैं।

 

ड्रैगन फ्रूट का उपयोग

असल में ड्रैगन फ्रूट का उपयोग सलाद, मुरब्बा, जेली और शेक बनाने में किया जा सकता है।

इसके तने गूदेदार और रसीले होते हैं। ड्रैगन फ्रूट दो प्रकार का होता है, सफेद गूदे वाला और लाल गूदे वाला।

इसका वैज्ञानिक नाम हिलोकेरेस अंडट्स है। यह मूलतः दक्षिण अमेरिका में होता है।

यह एक किस्म की बेल पर लगने वाला फल है, जो कैस्टेसिया फैमिली से संबंधित है।

इसके फूल सुगंधित होते हैं, जो रात में खिलते हैं और सुबह होने तक झड़ जाते हैं।

 

फसलो का रकबा बढ़ा

गन्ने का रकबा पिछले कुछ समय में तेजी से घटा और 2 हजार हेक्टेयर तक रह गया, क्योंकि डबरा में शुगर मिल बंद होने से बिकवाली में कमी आई थी।

अब एक बार फिर रकबा बढ़ रहा है, इस साल यह 200 हेक्टेयर की बढ़त का अनुमान है।

 

धान का रकबा तीन साल पहले 2016-17 में 39 हजार हेक्टेयर था। 2019-20 में 96 हजार हेक्टेयर हुआ।

अब और भी बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि किसान क्रांति व काली मूंछ के अलावा बासमती चावल की पैदावार में रुचि दिखा रहे हैं।

 

गेहूं की पैदावार हर दशक में बढ़ती गई। 2000 में एक हेक्टेयर भूमि में गेहूं की पैदावार 2 क्विंटल थी, तो 2010 में 30 क्विंटल हुई।

इस समय किसान कुछ स्थानों पर 45 से 50 क्विंटल की पैदावार ले रहे हैं। इसी तरह से धान की पैदावार भी बढ़ी है।

 

किसान परंपरागत खेती के साथ अब फूल,फल,सब्जी की खेती कर रहे हैं।

छोटे किसान उद्यानिकी फसलों में बड़ा मुनाफा कमा रहे हैं। इसलिए उद्यानिकी का रकबा भी तेजी से बढ़ रहा है।

source : naidunia

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