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गेहूं उपार्जन के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू, ओर जाने पूरी जानकारी

गिरदावरी एप पर डाटा नहीं होने से किसानों का पंजीयन नहीं हो रहा. 

समर्थन मूल्य 2 हजार 275 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है। इसके लिए रबी विपणन वर्ष 2024-25 में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के लिए पंजीयन 5 फरवरी से शुरू हो गए है, जो 1 मार्च तक केंद्रों पर किए जाएंगे।

किसान पंजीयन में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इसका कारण मंडी में ज्यादा रेट मिलना बताया जा रहा है।

सेवा समिति बिड़वाल से प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष 248 किसानों ने पंजीयन करवाया था, लेकिन भाव अंतर के कारण मात्र 148 किसानों ने ही 16 हजार 73 क्विंटल गेहूं उपार्जन केंद्र पर बेचा था।

इस बार समर्थन मूल्य 2 हजार 275 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। पंजीयन और खरीदी के लिए खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है।

पंजीयन कराने के लिए किसान प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों में ऑन लाइन सेंटर और किसान एप पर कर सकते हैं।

यहां पर उन्हें बोवनी के क्षेत्र की जानकारी देनी होगी और इसका सत्यापन पटवारियों द्वारा किया जाएगा। पिछले साल 2125 रुपए प्रति

 

क्विंटल के भाव से खरीदा था गेहूं

पिछले वर्ष सरकार ने 2125 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से खरीदी की थी। वर्तमान में 150 की बढ़ोतरी करके 2275 रुपए का भाव तय किया है।

लेकिन बाजार में ऊंचे दाम होने के कारण अधिकांश पंजीकृत किसानों ने अपना गेहूं बाजार में बेचा था।

वहीं इस बार पैदावार भरपूर होना है। इस वर्ष भी मौसम की अनुकूलता को देखते हुए फसल अच्छी लग रही है और बंपर उत्पादन हो सकता है।

 

गिरदावरी एप में डाटा ही फीड नहीं हुआ

संस्था में पंजीयन प्रक्रिया तो 5 फरवरी से आरंभ हो गई है। मगर नवीन किसानों का पंजीयन नहीं हो रहा है।

पोर्टल पर नवीन पंजीयन विकल्प नहीं खुलने के कारण पूर्व पंजीकृत किसानों का ही पुनः पंजीयन भी नहीं हो रहा है।

गिरदावरी एप में डाटा दर्ज नहीं होने से किसानों के नए पंजीयन नहीं हो पा रहे हैं। किसान संस्था में पंजीयन के लिए चक्कर लगा रहे हैं।

समिति के लक्ष्मण डोंडवे ने बताया कि संस्था के दायरे में आने वाले नो गांव के करीब 1200 सदस्य हैं।

पिछले वर्ष 248 सदस्यों ने गेहूं उपार्जन के लिए पंजीयन करवाया था, इस वर्ष अभी तक गिरदावरी एप डाटा नहीं होने से पंजीयन नहीं हो रहे हैं।

जिसके कारण पंजीयन करवाने वाले किसान संस्था में आकर जानकारी ले रहे हैं।

किसान जानकारी देंगे, पटवारी सत्यापन करेंगे

 

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