1.5 करोड़ किसानों के पास जाकर वैज्ञानिक देंगे उन्नत तकनीकों की जानकारी

शुरू हुआ विकसित कृषि संकल्प अभियान

29 मई से देशभर में विकसित कृषि संकल्प अभियान की शुरुआत हो गई है। अभियान के तहत 16,000 वैज्ञानिकों की 2170 टीमें गांव-गांव जाकर किसानों को खेती की नई तकनीकों की जानकारी देगी।

देश में फसलों का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं।

इस कड़ी में किसानों को उन्नत खेती की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा विकसित कृषि संकल्प अभियान की शुरुआत की गई है।

अभियान के तहत 16 हजार वैज्ञानिकों की 2170 टीमें 1.5 करोड़ किसानों के पास जाकर उन्नत खेती की जानकारी देंगी।

29 मई के दिन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी से राष्ट्रव्यापी विकसित कृषि संकल्प अभियान (VKSA-2025) का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने सभी किसान भाई-बहनों से अभियान से जुड़ने की अपील की है।

29 मई से 12 जून तक चलने वाले इस अभियान में वैज्ञानिकों की टीमें गांव-गांव जाकर किसानों से सीधा संवाद करेंगे।

15 दिवसीय अभियानकेदौरान कृषि मंत्री लगभग 20 राज्यों की यात्रा कर किसानों और वैज्ञानिकों के साथ संवाद में शामिल होकर उत्साह बढ़ायेंगे।

 

किसान वैज्ञानिकों के साथ बैठकर सीखें खेती में नए प्रयोग

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि इस अभियान के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों की आवश्यकता के अनुसार आगे के कृषि अनुसंधान का मार्ग तय किया जाएगा।

कृषि मंत्री ने किसान भाइयों-बहनों से अपील करते हुए कहा कि 29 मई से 12 जून तक चलने वाले इस अभियान को सफल बनाने में कोई कसर मत छोड़ना।

उन्होंने किसानों से कहा कि वैज्ञानिक आपके गांव आ रहे हैं, आप समय निकालिए और उनके साथ बैठिए, खेती में नए प्रयोग सीखिए और उत्पादन बढ़ाइए।

विकसित कृषि संकल्प अभियान का मतलब है की वैज्ञानिक लैब से निकलकर खेत में किसानों के बीच जाएं और गाँव में किसानों से साथ बैठे।

 

किसानों की समस्याओं का किया जाएगा समाधान

कृषि मंत्री ने कहा कि 16 हजार वैज्ञानिकों की 2170 टीमें बनाई गई हैं, जो गांव-गांव जाकर किसानों से संवाद करेंगी।

इस अभियान के माध्यम से वैज्ञानिक देश के 700 जिलों के लगभग 1.5 करोड़ किसानों तक पहुंचेगी और उन्हें नई कृषि तकनीकों के अनुप्रयोग के बारे में जागरूक करेगी। हरेक टीम एक दिन में दो गांव में जाएगी।

15 दिनों तक अभियान के दौरान क्षेत्र की जलवायु, पानी मिट्टी के पोषक तत्वों व अन्य बातों को ध्यान में रखते हुए किसानों को सिखाया जाएगा कि,

  • उन्हें कौनसी फसल उगानी चाहिए?
  • कौन सी किस्म का उपयोग करना चाहिए?
  • उर्वरकों का उपयोग कैसे करना चाहिए? आदि।

साथ ही प्राकृतिक खेती और दलहन व तिलहन की खेती के बारे में किसानों से चर्चा की जाएगी।

वैज्ञानिक सीधे संवाद के माध्यम से किसानों की व्यावहारिक समस्याओं का समाधान करेंगे।

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