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सोयाबीन की बंपर पैदावार के लिए बीजोपचार जरूरी

Posted on July 4, 2022July 4, 2022

बीजोपचार की विधियां

 

खरीफ फसलों की बोवनी चल रही है, अच्छी पैदावार के लिए बीज उपचार कैसे करें जानिए।

 

देश में सोयाबीन की बोवनी अब तक 2.78 लाख हेक्टयर में हो चुकी है जो पिछले साल के मुकाबले 77 फीसद कम हैं और मानसून में ओर देरी से बोवनी की प्रक्रिया धीमी है।

सोयाबीन एवं अन्य खरीफ फसलों की बोवनी के दौरान विशेष तौर पर जो बात ध्यान देने वाली है वह यह है कि किसान बीज उपचार जरूर करें।

क्योंकि अच्छी पैदावार के लिए जिस तरह बीज चयन महतवपूर्ण है, उसी तरह बीज का उपचार करना भी उतना ही आवश्यक है।

आधुनिक खेती में निरंतर हो रही वैज्ञानिक प्रगति से तभी लाभ हो सकता है जब उन्नत किस्मो के शुद्ध व अच्छी गुणवत्ता वाले बीजो का चुनाव कि‍या जाए और बुवाई पूर्व उसे उपचारित करके ही बोया जाए, बीजो का अंकुरण बढाने, कीटो व रोगों से सुरक्षा करने के लिए बीजोपचार अति आवश्यक प्रक्रिया है।

 

बीज उपचार नहीं किया तो पैदावार घटेगी

अधिकांशत: किसान, फसलो की बीजाई बिना बीजोपचार किये ही करते है जिससे फसल उत्पादन 8-10 प्रतिशत कम रहने की सम्भावना रहती है।

किसानो द्वारा बीजोपचार की महत्वपूर्ण प्रक्रिया को अपनाने के लिए प्रचार प्रसार की आवश्यकता है।

जिससे फसलो मे इसके फायदे की जानकारी किसानो तक पहुचें।

 

100 प्रतिशत बीजोपचार को बढावा देने के लिए भारत सरकार एवं राज्य सरकार कार्यरत है।

जिसमे कृषि विश्वविधालय, कृषि विज्ञान केन्द्र, आत्मा, ओधोगिक संगठन एवं एन.जी.ओ. मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।

 

बीजों का उपचार इस क्रम में करें

बीजों का एफ. आई. आर. या FIR क्रम मे उपचार करना चाहि‍ए यानि‍ सबसे पहले फफूँदनाशक दवाओं से, फिर आवश्यकता के अनुसार कीटनाशक दवा से एवं अंत मे जीवाणु कल्चर से उपचारित करना चाहिये।

रसायनों अथवा जैव कारको के अनुप्रयोग के लिए आमतौर पर तीन विधियाँ अपनाई जाती है जो की रसायन या जैवकारक की प्रकृतिपर निर्भर करती है।

 

बीज उपचार की विधियां जानिए

धूल उपचार वि‍धि‍ :- इसके अंतर्गत सूखे चूर्ण अथवा पाउडर से बीजोपचार किया जाता है। उदाहरण के लिए कार्बेन्डाजिम द्वारा बीजोपचार।

कर्दम/स्लरी उपचार वि‍धि‍ :- पानी में घुलनशील चूर्ण के मिश्रण के प्रयोग को कर्दम/स्लरी उपचार कहते है।

द्रव्य उपचार वि‍धि‍:- तरल रूप में प्रयुक्त रसायनों के प्रयोग को द्रव्य उपचार कहते है।

सुखी विधि -: इस विधि के अंतर्गत बीजो को उपचारित करने के लिए बीज और दवा की उपयुक्त मात्रा को प्लास्टिक के ड्रम मे डालकर 10-15 मिनट घुमाया जाता है| जिससे दवा की हल्की परत सामान रूप से बीज के ऊपर चढ़ जाती है।

यदि ड्रम उपलब्ध नही हो तो किसी साफ़ बर्तन मे या पॉलिथीन पर बीज को डालकर उसके ऊपर आवश्यक रसायन या जैव-नियंत्रक की मात्रा को छिड़क या भुरककर उसे दस्ताने पहन कर हाथ से मिला दिया जाता है, फिर उपचारित बीज को छाया मे सुखाकर तुरंत बीजाई कर देनी चाहिए।

 

गीली विधि : इस विधि से बीजो को उपचारित करने के लिए पानी मे घुलनशील दवाओं को प्रयोग मे लिया जाता है।

बीज को उपचारित करने के लिए मिट्टी या प्लास्टिक के बर्तन मे आवश्यकतानुसार दवा लेकर घोल बना ले, फिर बीज को 10-15 मिनट के लिए डुबोये। उसके बाद बीज को निकालकर छाया मे सुखा कर बुवाई करे।

 

जीवाणु कल्चर से बीजोपचार की विधि

इसमें जीवाणु कल्चर (राईजोबियम, ऐजोटोबेक्टर, पी.एस.बी. कल्चर) से बीजोपचार करने के लिए एक लीटर पानी मे 250 ग्राम गुड डालकर गर्म करते है, इसके बाद घोल को ठण्डा होने पर 600 ग्राम कल्चर (3 पैकेट) मिलाकर तेयार घोल को एक हेक्टेयर की फसल के बीज को उपचारित करने के काम मे लेते है।

 

सोयाबीन का बीजोपचार

बीज को थायरम कार्बेन्डाजिम (2:1) के 3 ग्राम मिश्रण, अथवा थयरम कार्बोक्सीन 2.5 ग्राम अथवा थायोमिथाक्सेम 78 ws 3 ग्राम अथवा ट्राईकोडर्मा विर्डी 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें।

 

बीजोपचार के फायदे
  • फसल की बीज व मृदा जनित रोगों व कीटो से बचाव।
  • बीजो का अंकुरण अच्छा व एक समान होता है।
  • दलहनी फसलो की जड़ो मे नोडयूलेसन की बढोतरी होती है।
  • बीजो को पौषक तत्व उपलब्ध होते है।
  • बीजो की सुषुप्तावस्था तोड़ने मे सहायक।
  • फसल की उत्पादकता मे बढोतरी।

 

बीजोपचार के समय यह सावधानियां बरतें
  • बीज को एफ. आई. आर. क्रम मे सबसे पहले फफूँदनाशक, फिर कीटनाशक एवं अंत मे जीवाणु कल्चर (से उपचारित करना चाहिये।
  • जितना बीज बुवाई के लिए काम मे लेना हो उतना ही बीज उपचारित करना चाहिए
  • उपचारित बीजो को छायादार जगह मे सुखाकर 12 घंटे के भीतर बुवाई के काम लाये।
  • बचे हुए उपचारित बीज को खाने के काम नही लाना चाहिये और न ही पशुओ को खिलाये।
  • दवा के खाली डिब्बो या पैकेट्स को नष्ट कर देना चाहिये।
  • पैकेट्स पर लिखी हुई उपयोग की अवधि के पूरा हो जाने के बाद उस कल्चर का उपयोग बीजोपचार मे न करे।
  • जिस व्यक्ति के शरीर विशेषकर हाथ मे घाव या खरोंच लगी हो उससे बीज को उपचारित न करे।

यह भी पढ़े : अधिक पैदावार के लिए बुआई से पहले ज़रूर करें बीज अंकुरण परीक्षण

 

यह भी पढ़े : सोयाबीन की बोवनी हेतु किसानो के लिए महत्वपूर्ण सलाह

 

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