जल संसाधन मंत्री ने सिंचाई स्त्रोतों से जल दोहन की मात्रा नियंत्रित करने और फसलों की अच्छी उत्पादकता के लिए फसल अनुसार मिट्टी में आवश्यक नमी उपलब्ध कराने के लिए स्मार्ट इरिगेशन तकनीक को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए।
किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं।
इस कड़ी में मध्य प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने विभाग की कार्य-योजना में स्मार्ट इरिगेशन इनोवेशन को प्राथमिकता से सम्मिलित करने को कहा है। जिससे भू-जल संवर्धन को बढ़ावा मिले।
जल संसाधन मंत्री ने कहा कि अटल भू-जल योजना की गाइड लाइन अनुसार सिंचाई स्त्रोतों से जल दोहन की मात्रा नियंत्रित करने और फसलों की अच्छी उत्पादकता के लिए फसल अनुसार मिट्टी में आवश्यक नमी होनी चाहिए। इसके लिए कंट्रोल्ड स्मार्ट इरिगेशन आवश्यक है।
जल संसाधन मंत्री ने कहा कि प्रदेश के निवाड़ी एवं सागर जिलों में कुछ स्थानों पर डेमो उपकरण स्थापित किए गए हैं। इसके अच्छे परिणाम सामने आये हैं।
इस प्रणाली से भू-जल दोहन में कमी होगी, विद्युत व्यय एवं पम्प रखरखाव में कमी आएगी तथा मोबाइल आधारित सिंचाई नियंत्रण की सुविधा अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी। जल संसाधन मंत्री ने अटल भू-जल योजना की प्रगति की समीक्षा बैठक में यह बात कही।
भू-जल स्रोत में सुधार के लिए चलाई जा रही है अटल भू-जल योजना
जल संसाधन मंत्री ने कहा कि केन्द्रीय जलशक्ति मंत्रालय द्वारा विश्व बैंक के सहयोग से अटल भू-जल योजना चलाई जा रही है, जिसका उद्देश्य भू-जल स्तर में सुधार, जल प्रदाय के लिए टिकाऊ जल स्त्रोत और कृषि उत्पादन में वृद्धि करना है।
उन्होंने कहा कि योजना के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए जनभागीदारी से निर्मित जल सुरक्षा योजना में सप्लाई एवं डिमांड अनुसार राज्य एवं केन्द्र शासन की प्रचलित योजनाओं के अभिसरण से कार्य कर बेहतर जल प्रबंधन सुनिश्चित करें।
1500 किसानों को सिंचाई के लिए दिए गए ड्रिप और स्प्रिंकलर
बैठक में बताया गया कि योजना में बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 6 जिले जिसमें सागर, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना एवं निवाड़ी शामिल है के साथ 9 विकासखंडों जिसमें सागर, पथरिया, छतरपुर, नौगांव, राजनगर, पलेरा, बल्देवगढ़, अजयगढ़ एवं निवाड़ी शामिल है।
इनकी 670 ग्राम पंचायतों में 303 करोड़ रुपए की राशि से 3834 जल संरक्षण एवं संवर्धन संरचनाओं का निर्माण कर 92.60 मिलियन क्यूबिक जल संरक्षित किया गया है।
साथ ही 163 ग्राम पंचायतों में भू-जल स्तर में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। विकासखण्ड निवाड़ी सेमीक्रिटिकल श्रेणी में था, जो सुधार होकर संरक्षित श्रेणी में आंकलित किया गया है।
हितग्राही मूलक योजनाओं में 7 लाख से अधिक हितग्राही लाभान्वित हुए हैं।
सूक्ष्म सिंचाई हेतु 1500 से अधिक हितग्राहियों को ड्रिप, स्प्रिंक्लर आदि उपकरणों के वितरण पर 54 करोड़ से अधिक की राशि व्यय की जाकर 2000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र सूक्ष्म सिंचाई युक्त विकसित किया गया है।
योजना के अंतर्गत जल संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति जागरूकता लाने के लिए 18 चरण के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से 2.70 लाख लोग प्रशिक्षित किये गये, जिसमें महिलाओं की सहभागिता 45 प्रतिशत से अधिक रही।