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सोयाबीन के भाव साढ़े नौ हजार पहुंचे

 

सोयाबीन के भाव

 

गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी दूसरी बार दस हजार के करीब सोयाबीन

 

सोयाबीन उत्पादन के मामले में बदनावर तहसील समूचे मालवाचंल में प्रसिद्ध है।

यहां उत्पन्न होने वाली नानबीटी सोयाबीन की डीओसी की मांग समूचे विश्व में रहती है।

बदनावर मंडी को जिले से संभाग में ए ग्रेड की सोयाबीन के लिए ही ए ग्रेड का दर्जा प्राप्त है। इसी कारण यहां पर रुचि अवि एग्रो उज्जैन, अंबिका साल्वेज मंदसौर स्कायलार्क घोंसला आगर, अमृत मंदसौर एमएस नीमच आदि बड़ी सोया मिलों के आढ़तिए भी नियमित खरीदी करने आते हैं।

इसी परप्रेक्ष्य में यहां खेरवास में आईबी ग्रुप द्वारा देश का सबसे बड़ा सोया प्लांट भी मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान व उद्योग’ मंत्री राजवर्धनसिंह दत्तीगांव के प्रयासों से स्थापित किया जा रहा है।

वर्तमान में सोयाबीन के भाव दो दशकों के सर्वोच्च शिखर है।

अक्टूबर नवबंर में जब गीली सोयाबीन आई थी तभी भाव 4 से 5 हजार रुपये प्रति क्विंटल थे लेकिन अब तो इसने सारे रिकोर्ड ध्वस्त कर 9 हजार 450 रुपये का आंकड़ा छू लिया है।

 

मंडी में लाने लगे उपज 

बदनावर क्षेत्र की काली और दोमट मिट्टी में हर जिंस की पैदावार में एक विशेष प्रकार की गुणवत्ता होती है। इसी कारण यहां की फसलें अति उन्नत और मूल्यवान होती हैं।

बदनावर की मंडी में पहले तो सरदारपुर, बड़नगर और रतलाम तक के किसान ही उपज बिक्री के लिए आते थे।

लेकिन अब ऊंचे भाव मिलने से लगभग करीब 120 किमी दूर के किसान भी बदनावर मंडी का रुख करने लगे हैं।

इनमें प्रमुख रूप से बड़वानी, कालूखेड़ा जावरा, नामली, इंदौर के हातोद, देपालपुर, गौतमपुरा, झाबुआ, पेटलावद व उज्जैन के आसपास के बड़े गांव के अलावा जिले के अंतिम छोर से भी किसान अपनी उपज बदनावर मंडी में लेकर आने लगे हैं।

इसका प्रमुख कारण भाव में वृद्धि तो है ही साथ ही यहां के व्यापारियों द्वारा त्वरित भुगतान व हम्मालों की मुस्तैदी भी है।

 

सोयाबीन बेचने बदनावर आने लगे

गोकुलपुर के रामचंद्र जाट का कहना है कि हमारे यहां से इंदौर मंडी मात्र 30 किमी पड़ती है लेकिन जो भाव बदनावर मंडी में मिलते हैं वैसे पूरे संभाग में कहीं और नहीं मिल रहे हैं।

इसी तरह उज्जैन के कमेड़ निवासी गोविंद पटेल, कमठाना के प्रकाश पाखरिया पाटीदार का कहना है कि बदनावर मंडी में उपज की गुणवत्ता के आधार पर उचित मूल्य मिलता है।

इसलिए हम नजदीकी रतलाम मंडी न जाते हुए करीब 50 किमी दूरी तय कर सोयाबीन बेचने बदनावर आने लगे हैं। ऐसे ही कई अन्य जिलों के किसानों का भी कहना है कि बदनावर मंडी में

 

सोयाबीन की गुणवत्ता देखकर भाव बोले जाते हैं। अच्छी वैरायटी की सोयाबीन के लिए व्यापारियों में जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा होती है।

एफएक्यू सोयाबीन के भाव सर्वाधिक मिलते हैं। बोली चढ़ने पर 500 से 800 रुपये तक का अंतर आ जाता है।

 

गत वर्ष 12 हजार रुपये प्रति क्विंटल थे भाव

गत वर्ष बीज की सोयाबीन ने दस हजार का आंकड़ा पार किया था और उच्च क्वालिटी के बीज 12 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बिके थे।

लेकिन इस बार साधारण सोयाबीन भी दस हजार के आंकड़े के नजदीक पहुंच गई है।

व्यापारी अनिल नाहर, सुरेंद्र मूणत ने बताया कि विदेशों में भारतीय सोयाबीन की डीओसी की मांग होने से आगामी दिनों में सोयाबीन दस हजार का आकंड़ा भी पार कर सकती है।

 

किसानों के चेहरे पर आशातीत चमक

पिछले तीन सालों में कटाई के दौरान बारिश होने से एक ओर जहां सोयाबीन दागी हुई वहीं वर्ष 2020 में उत्पादन भी आधे से भी कम हुआ।

इसका पूरा खामियाजा इस वर्ष भरता दिखाई दे रहा है। पीले सोने के बढ़ते दामों से किसानों के चेहरे पर आशातीत चमक दिखाई दे रही है।

हालांकि क्षेत्र में अभी भी ऐसे बड़े और समृद्ध किसान हैं जिनके पास हजारों क्विंटल सोयाबीन का स्टाक है।

source : naidunia

 

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