पंजाब की महिला किसान ने मक्के की खेती में सफलता की नई मिसाल कायम की, उन्नत बीजों से बढ़ी कमाई, पंजाब के गुरदासपुर जिले के जांडी गांव की किसान मीना कुमारी ने मक्के की खेती में उन्नत बीजों का उपयोग करके अपनी आय में शानदार वृद्धि की है। उन्होंने भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (IIMR) के सहयोग से मक्के की खेती में बदलाव किया और इस क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणा बन गईं। उनकी यह सफलता साबित करती है कि यदि किसान सही बीजों का चयन करें और आधुनिक कृषि तकनीकों का पालन करें, तो वे अपने उत्पादन और मुनाफे में सुधार कर सकते हैं।
मक्का की बढ़ती मांग और उन्नत बीजों का महत्व
मक्का, जो भारतीय कृषि का महत्वपूर्ण हिस्सा है, की मांग हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है। इसका इस्तेमाल फूड, फीड और फ्यूल तीनों के रूप में हो रहा है। पेट्रोल में इथेनॉल की ब्लेंडिंग के कारण मक्के की मांग और भी बढ़ी है। मक्का पोल्ट्री फीड और बायोफ्यूल के रूप में भी उपयोग होता है। ऐसे में, किसानों के लिए मक्का उत्पादन में वृद्धि की आवश्यकता महसूस हो रही है।
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मक्का की अधिक उपज पाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम है उन्नत बीजों का चयन। जब किसान उन्नत बीजों का उपयोग करते हैं, तो उत्पादन में वृद्धि होती है और मुनाफा भी बेहतर होता है। मीना कुमारी ने इस बात को समझा और उन्नत बीजों का उपयोग करके अपनी खेती में बदलाव किया।
मीना कुमारी की सफलता की कहानी :
मीना कुमारी ने पहले पारंपरिक मक्का बीजों का उपयोग किया था, लेकिन इससे उन्हें अच्छे परिणाम नहीं मिल रहे थे। हालांकि, 2024 के खरीफ सीजन में भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (IIMR) द्वारा चलाए गए ‘इथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन में वृद्धि’ नामक प्रोजेक्ट के तहत, उन्हें पायनियर मक्का बीज दिए गए। इसके साथ ही, उन्हें कीटनाशकों जैसे टाइनज़र, एट्राज़ीन और कोराजेन भी प्रदान किए गए।प्रोजेक्ट के तहत मीना कुमारी को खेती की नई तकनीकों के बारे में भी प्रशिक्षण दिया गया, जैसे उपयुक्त बुवाई अंतराल, सिंचाई की बेहतर व्यवस्था, और कीट नियंत्रण के उपाय। मीना कुमारी ने इन तकनीकों को अपनाया और इसे अपने खेतों में लागू किया।
उन्नत बीजों से बढ़ी उपज :
मीना कुमारी ने पायनियर मक्का बीजों का उपयोग करते हुए 2 एकड़ के खेत में बुवाई की। इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने प्रति एकड़ 20 क्विंटल मक्का की उपज प्राप्त की, जो कि स्थानीय बीजों के मुकाबले कहीं अधिक थी। स्थानीय किस्मों का उपयोग करने वाले अन्य किसानों ने प्रति एकड़ 12-14 क्विंटल ही मक्का उगाया था।
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मीना कुमारी के खेत में मक्का की गुणवत्ता भी बेहतर थी, क्योंकि दानों का आकार समान था और बाजार में उसे अच्छे दाम मिले। उनके खेत को एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया गया, जिससे अन्य किसान भी यह देख सके कि उन्नत बीजों का उपयोग करके उपज में वृद्धि की जा सकती है।
शानदार आय और आर्थिक लाभ :
मीना कुमारी की मेहनत और उन्नत बीजों के उपयोग से उन्हें अच्छा लाभ मिला। उन्होंने अपनी उपज राणा शुगर लिमिटेड को बेची और 1,35,000 रुपये की आय प्राप्त की, जो पिछले सीजन से बहुत अधिक थी। इस सफलता के बाद, उनके 15 पड़ोसी किसानों ने भी उन्नत बीजों का उपयोग करने का निर्णय लिया।
उनकी सफलता की कहानी ने यह सिद्ध किया कि यदि किसान उन्नत बीजों का चयन करें और नई कृषि पद्धतियों को अपनाएं, तो उन्हें बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। मीना कुमारी के खेत को मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया गया, जिससे अन्य किसान भी इसे देख सकते हैं और सीख सकते हैं कि कैसे उन्नत बीजों का उपयोग करके मक्का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
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किसान समुदाय में बदलाव और प्रेरणा :
मीना कुमारी की सफलता केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह उनके आसपास के किसान समुदाय के लिए एक प्रेरणा है। उनकी यात्रा ने यह साबित किया कि अगर किसान आधुनिक तकनीकों और उन्नत बीजों का उपयोग करें, तो वे अपनी कृषि उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकते हैं और अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।उन्होंने अपने खेतों का उदाहरण अन्य किसानों के लिए पेश किया, ताकि वे भी उन्नत बीजों और आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाकर अपनी आय में सुधार कर सकें। मीना कुमारी का अनुभव यह दिखाता है कि एक छोटी सी पहल और सही मार्गदर्शन के साथ किसान अपनी खेती में बदलाव ला सकते हैं।
मीना कुमारी की सफलता की कहानी यह साबित करती है कि उन्नत बीजों का उपयोग और कृषि में नई तकनीकों का पालन करके मक्का उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है। उनका यह अनुभव न केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि यह अन्य किसानों के लिए भी एक प्रेरणा है। उन्नति की ओर यह कदम भारतीय कृषि को एक नई दिशा में ले जाने की क्षमता रखता है। इस प्रकार, मीना कुमारी की यात्रा एक मिसाल बन गई है, जो यह दिखाती है कि मेहनत, सही संसाधन और मार्गदर्शन से कोई भी किसान अपनी सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है।
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