युवा किसान ने बदला खेती करने का तरीका, अब अन्य किसानों को कर रहे है जागरुक
मनरेगा योजना को आमतौर पर मजदूरी के नजरिए से देखा नाता है, लेकिन गोगावां जनपद की ग्राम पंचायत बमनिया के सिबार गांव के संजय ने इसे आय का स्थायी जरिया बना दिया है।
27 साल के संजय पिता जगदीश अब बाई पिंक अमरूद की खेती से सालाना 3.5 से 4 लाख रुपए तक की कमाई कर रहे हैं।
संजय ने वर्ष 2023-24 में योजना के तहत निजी भूमि पर पौधारोपण के लिए आवेदन किया था।
योजना के तहत उन्हें 3.94 लाख रुपए की सहायता मंजूर हुई, जिसकी मदद से उन्होंने एक हेक्टेयर खेत में 625 थाई पिंक अमरूद के पौधे लगाए।
इस किस्म के अमरूद का औसतन वजन 300 ग्राम तक होता है और एक पेड़ से सालाना 20-25 किलो तक उत्पादन होता है।
संजय इस अमरूद की सप्लाई जिले सहित खंडवा और इंदौर तक कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस खेती में खर्च बेहद कम है और मुनाफा काफी बेहतर।
अब संजय गांव के दूसरे युवाओं और किसानों को भी निजी पौधारोपण योजना का लाभ उठाने की सलाह दे रहे हैं।
उनका मानना है कि अगर युवा योद्धा रिस्क लें और तकनीकी खेती अपनाएं तो खेवे भी फायदे का सौदा बन सकती है।
मिर्च से बागवानी तक का सफर
किसान संजय ने बताया कि वह पहले मिर्च की खेती करते थे, लेकिन बिल्ट फंगस की समस्या से परेशान थे और आमदनी भी अनिश्चित थी।
उन्होंने कृषि की पढ़ाई की है और यही ज्ञान उन्होंने याई पिंक अमरूद की खेती में लगाया।
किसान संजय का कहना है कि पारंपरिक खेती में जहां मेहनत ज्यादा और मुनाफा कम है, वहीं बागवानी से इम कम मेहनत में अच्छी कमाई कर सकते हैं।
औषधीय पौधों की खेती में केंद्र सरकार से ऐसे मिलेगी 50% तक सब्सिडी

