फसलों में कीटों की समस्या गंभीर होती है. इसी में एक कीट गुलाबी सुंडी है जो कपास को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता है.
इस तरह के कीटों का सफाया करने के लिए आई ट्रैपर नाम का लाइट ट्रैप तैयार किया गया है. यह तकनीक मार्केट में बिल्कुल नई है.
गुलाबी सुंडी का नाम आते ही किसानों की आत्मा कांप जाती है. बाहर से लेकर भीतर तक डर का माहौल खड़ा हो जाता है. हो भी क्यों न.
यह ऐसा कीट है जो देखते-देखते किसानों की फसल, खासकर कपास को नष्ट कर देता है. इससे किसानों की मेहनत-मजूरी पर पानी फिर जाता है.
कई तैयारियों और योजनाओं के साथ किसान फसल लगाता है, मगर गुलाबी सुंडी से जैसे कीड़े उसका सफाया कर देते हैं.
ऐसे में अगर उसे नष्ट करने की कोई नई तकनीक मार्केट में आए तो इससे बड़ी खुशी की बात क्या हो सकती है. उसमें भी तकनीक अगर सस्ती और कारगर हो तो क्या कहने.
जी हां. हैदराबाद के एक स्टार्टअप डेल्टा थिंग्स ने एक नई तकनीक का इजाद किया है जो गुलाबी सुंडी जैसे कीटों का सफाया करेगी.
दरअसल यह तकनीक एक लाइट ट्रैप है जिससे फसल और पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता जबकि कीटों का सफाया हो जाता है.
इस ट्रैप का नाम है आई ट्रैपर (iTrapper). डेल्टा थिंग्स प्राइलेट लिमिटेड और जयशंकर तेलंगाना स्टेट एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस लाइट ट्रैप को तैयार किया है.
कैसे काम करेगा यह लाइट ट्रैप
यह लाइट ट्रैप केवल गुलाबी सुंडी के प्रकोप से ही नहीं बचाएगा बल्कि अन्य कीटों का भी समाधान देगा.
बाजार में कई तरह के लाइट ट्रैप पहले से मौजूद हैं, लेकिन आई ट्रैपर उनसे कई मामलों में अलग है.
बाकी लाइट ट्रैप की अवधि अधिक दिनों की नहीं रहती जबकि आई ट्रैपर लंबे दिनों तक खेतों में काम करता है.
सबसे खास बात ये कि आई ट्रैपर फायदेमंद या फसलों के लिए जरूरी कीटों को नहीं मारता.
यह केवल उन कीटों को मारता है जो फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. इनमें गुलाबी सुंडी भी एक है.
जयशंकर तेलंगाना यूनिवर्सिटी के प्रधान वैज्ञानिक रामगोपाल वर्मा बताते हैं कि सामान्य तौर पर लाइट ट्रैप अच्छे कीट और बुरे कीटों में अंतर नहीं कर पाते.
वे सभी कीटों को मारते हैं जिससे फसलों को भारी नुकसान होता है. आई ट्रैपर ऐसी तकनीक है जो अच्छे कीटों को छोड़ देती है. साथ में यह सामान्य लाइट ट्रैप से अधिक दिनों तक काम करता है.
बुरे कीटों का अंत, अच्छे कीट बचेंगे
डेल्टा थिंग्स कंपनी के फाउंडर राजशेखर रेड्डी पल्ला बताते हैं कि इस ट्रैप को इजाद करने से पहले दो साल तक खेतों में कीटों के बर्ताव के बारे में अध्ययन किया गया.
कपास और धान के प्रमुख कीटों पर रिसर्च की गई. फिर आई ट्रैपर का इजाद किया गया जो यूवी लाइट और विजिबल लाइट दोनों का इस्तेमाल करता है. इससे वह बुरे कीटों को मारता है और अच्छे कीटों को छोड़ देता है.
यह लाइट ट्रैप आईओटी से लैस है जिसमें एक एलईडी बल्ब लगा है और माइक्रोकंट्रोलर लगाया गया है.
यह ट्रैप कुछ खास तरह के कीटों को भांपता है और उसी के मुताबिक लाइट भेजता है जिससे कीटों पर हमला होता है.
कीट उस ट्रैप में फंस जाते हैं. यह ट्रैप फसलों और कीटों के मुताबिक लाइट छोड़ता है जिसमें कीट फंस जाते हैं और मारे जाते हैं.
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