सरकार फसल कटाई में नुकसान कम करने के लिए चला रही है यह योजनाएँ

फसल कटाई के बाद उपज में होता है इतना नुकसान

राज्यसभा में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि देश में फसलों की कटाई के बाद उपज में होने वाले नुकसान को लेकर नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से अध्ययन कराया गया है।

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कटाई के बाद होने वाले इस नुकसान को कम करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।

देश में फसलों की कटाई के बाद विभिन्न कारणों से फसलों को बहुत अधिक नुक़सान होता है, जिसका असर किसानों की आमदनी पर पड़ता है।

ऐसे में फसल कटाई के बाद होने वाले इस नुकसान को कम करने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं

राज्यसभा में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने बताया कि फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान के आंकलन के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (नैबकॉन्स) के माध्यम से वर्ष 2020-22 में “भारत में कृषि उपज के फसलोपरांत नुकसान का निर्धारण करने हेतु अध्ययन” नामक एक अध्ययन शुरू किया था।

इस अध्ययन में भारत के 292 जिलों में विभिन्न श्रेणियों के 15 कृषि-जलवायु क्षेत्रों में 54 वस्तुओं के फसलोपरांत नुकसान का आकलन करने के लिए किया गया था।

अध्ययन के माध्यम से इस क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास, प्रौद्योगिकी समावेशन और कौशल आवश्यकताओं में कमियों की पहचान की गई।

अध्ययन में प्रमुख फसलों और वस्तुओं की कटाई के बाद होने वाली हानि के बारे में बताया गया है।

 

कटाई के बाद फसलों को कितना नुकसान होता है?

नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा किए गए इस अध्ययन में बताया गया है कि

  • फसल कटाई के बाद अनाज फसलों में 3.89 से 5.92 प्रतिशत तक,
  • दलहन फसलों में 5.65 से 6.74 प्रतिशत तक,
  • तिलहन फसलों में 2.87 से 7.51 प्रतिशत तक,
  • फल फसलों में 6.02 से 15.05 प्रतिशत तक,
  • सब्जी फसलों में 4.87 से 11.61 प्रतिशत तक,
  • बागान और मसाला फसलों में 1.29 से 7.33 प्रतिशत तक,
  • दूध में 0.87 प्रतिशत तक,
  • इनलैंड मछली पालन में 4.86 प्रतिशत तक,
  • मरीन मछली पालन में 8.76 प्रतिशत तक,
  • मांस उत्पादन में 2.34 प्रतिशत तक,
  • कुक्कुट पालन में 5.63 प्रतिशत तक एवं
  • अंडा 6.03 प्रतिशत तक का नुकसान होता है।

अध्ययन के मुताबिक सब्जियों, अनाजों, बागानी फसलों और फलों में रिपोर्ट किए गए नुकसान मुख्य रूप से हार्वेस्टिंग, रख-रखाव, भंडारण और परिवहन में अकुशलता के कारण होता है।

सरकार द्वारा इन नुकसानों को कम करने के लिए विभिन्न योजनाएँ चलाई जा रही हैं। जो इस प्रकार है:-

 

कटाई के बाद नुकसान कम करने के लिए योजनाएँ

कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने राज्य सभा में जानकारी देते हुए बताया कि सरकार द्वारा कृषि मूल्य श्रृंखला को मजबूत बनाने के उद्देश्य से अनेक प्रमुख योजनाएँ चलाई जा रही हैं।

जो इस प्रकार है:-

  • समेकित बागवानी विकास मिशन (MIDH): फलों और सब्जियों में अपव्यय को कम करने के लिए कोल्ड स्टोरेज, राईपनिंग चैंबर और पैक हाउस सहित फसलोपरांत प्रबंधन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में सहायता प्रदान करता है।
  • एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF): भंडारण, शीतगृहों और प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयों सहित व्यवहार्य फसलोपरांत प्रबंधन इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश के लिए मध्यम से दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण प्रदान करता है।
  • एग्रीकल्चर मार्केटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर (AMI) स्कीम: आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुदृढ़ करने और बाजार स्तर पर फसलोपरांत नुकसान को कम करने के लिए भंडारण और विपणन इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में सहायता करती है।
  • राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM): बेहतर बाजार पहुंच और बेहतर मूल्य प्राप्ति में सहयोग देता है, और अधिक कुशल आपूर्ति श्रृंखला के माध्यम से पारगमन नुकसान को कम करता है।

इसके अतिरिक्त सरकार एकत्रीकरण, प्राथमिक प्रसंस्करण और बाजार संपर्कों को सुविधाजनक बनाने के लिए 10,000 किसान उत्पादक संगठनों (FPO) के गठन और संवर्धन को सक्रिय रूप से बढ़ावा देती है।

उपरोक्त के अतिरिक्त, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने फसलोपरांत नुकसान में कमी लाने, मूल्य संवर्धन बढ़ाने आदि सहित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के समग्र विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से फसलोपरांत इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रसंस्करण सुविधाओं के निर्माण के लिए वर्ष 2016-17 से केंद्रीय क्षेत्र की व्यापक स्कीम-प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) चलाई जा रही है।

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