वनस्पति तेल आयात पर ड्यूटी बढ़ेगी
घरेलू तिलहन कीमतों में गिरावट से जूझ रहे हजारों तिलहन किसानों की मदद के लिए छह महीने से भी कम समय में दूसरी बार वनस्पति तेलों पर आयात कर बढ़ा सकता है.
घरेलू स्तर पर तिलहन की कीमतों में गिरावट ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं, उन्हें मंडियों में अपनी उपज का सही दाम नहीं मिल पा रहा है.
ऐसे में किसानों को राहत देने इरादे से केंद्र सरकार वनस्पति तेल के आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की तैयारी कर रही है.
रायटर्स के अनुसार सरकार 6 महीने से भी कम समय दूसरी बार इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा सकती है.
किसानों को राहत दिलाने की योजना
रिपोर्ट में दो सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भारत घरेलू तिलहन कीमतों में गिरावट से जूझ रहे हजारों तिलहन किसानों की मदद के लिए छह महीने से भी कम समय में दूसरी बार वनस्पति तेलों पर आयात कर बढ़ा सकता है.
खाद्य तेलों के दुनिया के सबसे बड़े आयातक भारत की ओर से आयात शुल्क में बढ़ोतरी करने से स्थानीय वनस्पति तेल और तिलहन की कीमतें बढ़ सकती हैं.
केंद्र के फैसले से विदेशी खरीद घटेगी
केंद्र सरकार फैसला लेती है तो वनस्पति तेल की मांग में कमी आ सकती है और पाम ऑयल, सोया ऑयल और सूरजमुखी तेल की विदेशों से खरीद कम हो सकती है.
सरकारी सूत्र के हवाले से बताया गया है कि शुल्क बढ़ोत्तरी को लेकर आंतरिक मंत्रालय स्तर का परामर्श पूरा हो चुका है.
अब सरकार की ओर से जल्द ही शुल्क बढ़ाए जाने के ऐलान की उम्मीद है.
तेलों पर कितनी है मौजूदा इंपोर्ट ड्यूटी
रॉयटर्स के अनुसार केंद्र सरकार ने सितंबर 2024 में कच्चे और प्रॉसेस्ड वनस्पति तेलों पर 20 फीसदी मूल सीमा शुल्क लगाया था.
संशोधन के बाद कच्चे पाम तेल, कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर 27.5 फीसदी आयात शुल्क लगाया गया.
जबकि, पहले यह 5.5% था, जबकि तीनों तेलों के प्रॉसेस ग्रेड पर अब 35.75 फीसदी आयात शुल्क लागू है.
महंगाई दर पर सरकार की नजर
एक अन्य सरकारी सूत्र ने बताया कि सरकार निर्णय का असर खाद्य महंगाई दर पर पड़ने को भी ध्यान में रखेगी.
समाचार एजेंसी रायटर्स के अनुसार जनवरी महीने में खाद्य महंगाई दर 6.02 फीसदी दर्ज की गई है, जो दिसंबर में 8.39 फीसदी थी.
जनवरी में सब्जियों की कीमतों में सालाना आधार पर 11.35 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई.
अनाज की महंगाई दर 6.50 फीसदीदर्ज की गई. जबकि दालों की कीमतों में 3.80 फीसदी बढ़त रही.