भीमाभाई कारावदारा की कहानी फ़र्श से अर्श तक पहुंचने की कहानी है.
उनकी कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा है. साल 1987 में, भीमाभाई ने जामनगर छोड़ दिया और सूरत चले आए.
उस वक़्त उनके पास सिर्फ़ तीन भैसें और एक गाय थी.
आज भीमाभाई और उनके तीन बेटे सूरत स्थित एक अल्ट्रा मॉडर्न कैटल फ़ार्म के मालिक हैं और उनके पास 350 भैसें हैं.
दूध बेचकर ये परिवार हर महीने क़रीब पांच से सात लाख रुपये कमा लेता है.
पशुपालन की वजह से ही ये परिवार आज एक लग्ज़री लाइफ़ जी रहा है और उनके पास एक शानदार घर के साथ-साथ कई लग्ज़री कारें भी हैं.
WhatsApp Group
Join Now