हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

इन विधियों से सुधार सकते हैं खेतों का भूजल स्तर

आज दुनिया में बढ़ते जल संकट को देखते हुए हमें अपने खेतों के भूजल स्तर की चिंता होना स्वाभाविक है.

आज हम आपको कुछ ऐसी विधियों के बारे में जानकारी देंगे जिनके माध्यम से आप अपने खेत के भूजल स्तर को स्थिर रख सकते हैं.

 

भूजल स्तर

हम अपने आसपास बहुत से सूखे हुए कुएं, हैण्डपंप आदि को देखते हैं.

इसका प्रमुख कारण यह है कि जब उस स्थान का भूजल स्तर अपने वास्तविक स्तर से और नीचे चला जाता है तो वह सूख जाते हैं.

यही प्रक्रिया हमारे खेतों में भी होती है. जब हमारे खेतों का भूजलस्तर अच्छा रहता है तो फसलों से लेकर खेत की मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है.

लेकिन इसमें कमी होने के साथ ही इनकी क्वालिटी में भी कमी आने लगती है.

अगर हम अपने खेत के भूजल स्तर को सही बनाये रखना चाहते हैं तो हम इन विधियों को अपना सकते हैं.

तो चलिए जानते हैं कौन से हैं यह विधियाँ.

 

फसल विविधिकरण

फसल विविधिकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें फसलों की खेती करने की विधियों में चली आ रही पारंपरिक खेती के साथ ही साथ आज के आधुनिक और वैज्ञानिक तरीकों को भी उपयोग में लाया जाता है.

हम इस विधि के माध्यम से भी भूमि का जल स्तर सुधार सकते हैं. इनमें प्रयोग होने वाली सबसे ज्यादा बागवानी फसलें होती हैं.

जिनके द्वारा भूमिगत जल स्तर स्थिर रहता है साथ ही मिट्टी में जीवाश्मों की संख्या भी स्थिर बनी रहती है.

इस विधि में फसलों की गुणवत्ता भी कायम बनी रहती है.

 

बिना जुताई की खेती

इस प्रकार की खेती में हम अपनी फसल की कटाई के बाद जो भी फसल के बचे हुए अवशेष पर हल्की जुताई या बिना जुताई किए दूसरी फसल चक्र के लिए काम शुरू कर देते हैं तो इस प्रक्रिया को हम Zero Tillage Farming कहते हैं.

इसमें बीजों की बुआई के लिए हम जीरो टेलिज मशीन की सहायता भी ले सकते हैं.

इस प्रक्रिया  के माध्यम से हम गन्ना, गेहूं और धान जैसी फसलों का उत्पादन कर सकते हैं.

इस प्रक्रिया के माध्यम से हम भूजल स्तर को स्थिर रख सकते हैं. इस प्रक्रिया से एक बड़ा लाभ यह भी है कि हमारे खेत में कृषि की यह पद्धति भूमि में जीवाश्मों की संख्या को भी बढ़ाती है.

 

सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली

यह प्रकिया एक विशेष प्रकार की की सिंचाई प्रणाली है जिसके माध्यम से हम कम पानी में ही खेत की सिंचाई को आसानी से कर सकते हैं.

पारम्परिक सिंचाई की तुलना में हमें इस सिंचाई में लगभग 60 प्रतिशत तक कम पानी की आवश्यकता होती है.

इस सिंचाई प्रणाली को भी कई भागों में बाँटते हैं.

जिनमें ड्रिप, स्प्रिंकलर जैसी विधियों को प्रयोग किया जाता है.

हम अपने खेतों में इन प्रक्रियाओं के माध्यम से भी भूजल स्तर में सुधार कर सकते हैं.

सब्सिडी पर कृषि यंत्र लेने के लिये आवेदन करें किसान