भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान- इंदौर द्वारा सोयाबीन कृषकों को साप्ताहिक अवधि के लिए उपयोगी सलाह दी गई है।
संस्थान ने किसानों को पत्ती खाने वाले कीट के प्रकोप से सोयाबीन फसल के बचाव की सलाह दी हैं।
कैसे करे उपचार
भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान- इंदौर द्वारा सोयाबीन कृषकों को साप्ताहिकअवधि के लिए उपयोगी सलाह दी गई है।
संस्थान ने किसानों को पत्ती खाने वाली इल्लियों के प्रकोप से सोयाबीन फसल के बचाव की सलाह दी हैं।
सोयाबीन में तना मक्खी कीट से बचाव
तना मक्खी के नियंत्रण हेतु सलाह है कि पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350मिली./हे.) या आइसोसायक्लोसरम 9.2 WW.DC (10% W/V) DC (600 मिली/हे.) का छिड़काव करें।
सोयाबीन में पत्ती खाने वाली इल्ली से बचाव
जहाँ पर एक साथ पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर/तम्बाकू/चने की इल्ली) तथा रस चूसने वाले कीट जैसे सफ़ेद मक्खी/जसीड एवं ताना छेदक कीट (तना मक्खी/चक्र भृंग) प्रकोप हो, इनके नियंत्रण हेतु पूर्व मिश्रित कीटनाशक जैसे क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. या थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) का छिडकाव करें।
सोयाबीन में पत्ती खाने वाले कीट से बचाव
जहाँ पर फसल 15-20 दिन की हो गई हो, पत्ती खाने वाले कीटों से सुरक्षा हेतु फूल आने से पहले ही सोयाबीन फसल में क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली/हे) का छिडकाव करें। इससे अगले 30 दिनों तक पर्णभक्षी कीटों से सुरक्षा मिलेगी।
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