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इफको यूरिया कितने प्रकार का होता है, जाने इसके लाभ

कब खेत में डाले व कितना डाले

 

आधुनिक युग की खेती में यूरिया का अहम रोल है, यूरिया कब व कैसे इस्तेमाल करना है, जानें लेख में..

 

आधुनिक युग की खेती में यूरिया का अहम रोल है। किसी भी खेती में किसान यूरिया डालता ही है।

कई किसान यूरिया तो खेत में डाल रहे है लेकिन उन्हें सही जानकारी नहीं रहती है की कब, कितना व यूरिया डालने का उचित समय क्या है,

 

इफको नीम कोटेड यूरिया (46%N )

  • इफको यूरिया एक नत्रजन जनित उर्वरक है जिसमें सबसे ज्यादा नत्रजन (46%N ) मिलता है।
  • उपयोगी नाइट्रोजन का उत्तम स्रोत।
  • यह सफेद क्रिस्टल के रूप में होता है, जो कि पानी में घुलनशील हैं।
  • अन्य नत्रजन जनित उर्वरकों की तुलना में कम अम्लीय प्रवृति।
  • 45 किलोग्राम पैकिंग में उपलब्ध।

लाभ –

  • सभी फसलों के लिए उपयुक्त।
  • फसल की औजपूर्ण बढ़वार व पौधों को हरा बनाने में।
  • पौधों में नयी शाखाओं का बनना।
  • बढ़वार व फुटान में तेजी लाता है।
  • प्रोटीन में वृद्धि कर उपज बढ़ाता है।

उपयोग विधि –

  • मात्रा – फसल व मिट्टी के अनुसार (राज्य के सामान्य सिफारिश के अनुसार) ।
  • उपयोग समय – बुवाई तथा खड़ी फसल में (टाप ड्रेसिंग)।

 

इफको नीम कोटेड दानेदार यूरिया (46%N)

  • इफको दानेदार यूरिया के कण साधारण यूरिया से
  • अधिक बड़े होते हैं।
  • इफको दानेदार यूरिया भी एक नत्रजन युक्त उर्वरक है, जिसमें नत्रजन (46%N) मिलता है।
  • उपयोगी नाइट्रोजन का उत्तम स्रोत।
  • यह सफेद क्रिस्टल के रूप में है, जो कि पानी में घुलनशील है
  • 45 किलोग्राम पैकिंग में उपलब्ध।

लाभ –

  • इफको दानेदार यूरिया, सामान्य यूरिया की अपेक्षा अधिक लाभदायक होता है।
  • इफको दानेदार यूरिया मिट्टी में धीरे-धीरे घुलता है, जिससे अधिक समय तक पौधों को नाइट्रोजन मिलती रहती है।
  • इफको दानेदार यूरिया मिट्टी में धीरे-धीरे घुलने के कारण मिट्टी से लीचिंग (रिसाव), वाष्पीकरण व विनाइट्रीकरण आदि कम होता है।
  • इफको दानेदार यूरिया के दाने बड़े होने के कारण हवा में उड़ने तथा पत्तियों पर चिपकने की सम्भावना नहीं रहती है। दानेदार यूरिया से साधारण यूरिया की तुलना में जल व वायु प्रदूषण कम होता है।

उपयोग विधि –

  • मात्रा – साधारण यूरिया से 5 से 10 प्रतिशत कम ।
  • उपयोग समय – बुवाई के समय तथा खड़ी फसल में (टाप ड्रेसिंग)।

सिफरिश की गई मात्रा का आधा भाग बुवाई के समय तथा आधा भाग फसल की अवधि एवं भूमि के प्रकार के अनुसार बुवाई के 30 दिन बाद 15 दिन के अंतराल पर 2 से 3 तीन बराबर हिस्सों में दें।

 

इफको यूरिया फास्फेट (17:44:0)

इफको यूरिया फास्फेट पानी में शत प्रतिशत घुलनशील उर्वरक है जिसमें 17% नाइट्रोजन व 44% फास्फोरस होती है।

  • नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस का उत्तम स्रोत।
  • 1,5 व 25 किलोग्राम पैकिंग में उपलब्ध।

लाभ –

  • सभी फसलों के लिए उपयुक्त।
  • फसल की ओजपूर्ण बढ़वार व पौधों को हरा बनाने में।
  • पौधों में नयी शाखाओं का बनना व अधिक संख्या में कल्ले बनाना।
  • जड़ों के विकास में, नयी कोशिकाओं का बनना, बीज व फल के विकास तथा फसल का समय पर पकने में सहायक।
  • अम्लीय प्रकृति के होने के कारण ड्रिप पाइप लाइन को साफ रखने में भी मदद करता है।

उपयोग विधि –

  • इफको यूरिया फास्फेट का प्रयोग फसलों की प्रारम्भिक अवस्था में करना चाहिये।
  • पत्तियों पर छिड़काव व ड्रिप सिंचाई द्वारा उपयोग में लाया जाता है।
  • ड्रिप – फर्टीगेशन के द्वारा प्रति वर्ग मीटर 1.5-2.5 ग्राम इफको यूरिया फास्फेट प्रति लीटर पानी (फसल व मिट्टी के अनुसार) में घोल कर उपयोग करें।
  • पर्णीय छिड़काव – इफको यूरिया फास्फेट का 0.5 से 1.0 प्रतिशत घोल का छिड़काव फसल अवस्था 30-45 दिन पर 15 दिन के अंतराल पर 1-2 बार करना चाहिये।

 

एसओपी के साथ यूरिया फॉस्फेट उर्वरक (18:18:18 एवं 6.1% सल्फर)
  • संतुलित एन पी के व सल्फर युक्त उर्वरक ।
  • उच्च घुलनशीलता और कम नमक का प्रमाण ।
  • सामान्यतः सभी उर्वरकों के साथ मिलाया जा सकता है इसमें यूरिया एमाइड के रूप में नाइट्रोजन मिलता है।
  • पर्णीय छिड़काव के लिये सर्वश्रेष्ठ उर्वरक।

लाभ –

फसल की गुणवत्ता, दानों का वजन एवं चमक में वृद्धि, फलों एवं सब्जियों के रंग आकार एवं वजन में वृद्धि के साथ-साथ उत्पादन बढ़ाता है।

उपयोग की विधि एवं मात्रा –

  • पत्तियों पर छिड़काव व ड्रिप सिंचाई द्वारा उपयोग में लाया जाता है।
  • पौध नर्सरी में और फूलों के खिलने से पहले और बाद में उपयोग करें।
  • 0.5% – 1% का उचित सांद्रता का घोल बनाएं एवं फूल निकलने से पहले एवं फली/ दाने बनने के समय 15 दिन के अंतराल पर 2-3 छिड़काव करें।
  • ड्रिप सिंचाई में फसल की मांग अनुसार उपयोग में लाए।

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