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क्या है जीरो बजट प्राकृतिक खेती, कैसे मिलता है फायदा…?

किसानों को क्या करना होगा

 

जीरो बजट प्राकृतिक खेती में देशी गाय के गोबर एवं गौमूत्र का उपयोग करते हैं.

इस विधि से 30 एकड़ जमीन पर खेती के लिए मात्र 1 देशी गाय के गोबर और गोमूत्र की आवश्यकता होती है.

 

गोबर एवं गौमूत्र का उपयोग

जीरो बजट प्राकृतिक खेती करने का एक तरीका है जिसमें बिना किसी लागत के खेती की जाती है.

कुल मिलाकर कहें तो यह पूरी तरह से प्राकृतिक खेती है. जीरो बजट प्राकृतिक खेती बाहर से किसी भी उत्पाद का कृषि में निवेश को खारिज करता है.

जीरो बजट प्राकृतिक खेती में देशी गाय के गोबर एवं गौमूत्र का उपयोग करते हैं.

इस विधि से 30 एकड़ जमीन पर खेती के लिए मात्र 1 देशी गाय के गोबर और गोमूत्र की आवश्यकता होती है.

 

 

जैविक ‘गतिविधियों का विस्तार

जीरो बजट फार्मिंग में गौपालन का भी विशेष महत्व है. क्योंकि देशी प्रजाति के गौवंश के गोबर तथा गोमूत्र से जीवामृत, घन जीवामृत, जामन बीजामृत बनाया जाता है.

इनका खेत में उपयोग करने से मिट्टी में पोषक तत्वों की वृद्धि के साथ-साथ जैविक ‘गतिविधियों का विस्तार होता है.

जीवामृत का उपयोग सिंचाई के साथ या एक से दो बार खेत में छिड़काव किया जा सकता है.

जबकि बीजामृत का इस्तेमाल बीजों को उपचारित करने में किया जाता है.

 

 

उन्नतशील प्रजातियों का प्रयोग

जीरो बजट प्राकृतिक खेती में हाइब्रिड बीज का उपयोग नहीं किया जाता है.

इसके स्थान पर पारस्परिक देशी उन्नतशील प्रजातियों का प्रयोग किया जाता है.

इस विधि से खेती करने से किसान को बाजार से खाद एवं उर्वरक, कीटनाशक तथा बीज खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है. जिससे उत्पादन की लागत शून्य रहती है.

 

 

एक साथ कई फसल

एकल कृषि पद्धति को छोड़कर बहुफसली की खेती करते हैं.

यानि एक बार में एक फसल न उगाकर उसके साथ कई फसल उगाते हैं.

जीरो बजट प्राकृतिक खेती को करने के लिये 4 तकनीकों का प्रयोग खेती करने के दौरान किया जाता है.

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